रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने वन अधिकार पत्र नियमों की विसंगतियों को दूर करते हुए नई अधिसूचना जारी की है, जिससे वन अधिकार प्राप्त समितियों को पूरा लाभ मिलेगा। सामुदायिक पट्टा प्राप्त समितियों को भी अधिग्रहित क्षेत्र में वनों की कटाई से प्राप्त पूरी राशि दी जाएगी। यह घोषणा वन मंत्री रामविचार नेताम ने विधानसभा में की।

बजट सत्र के पांचवें दिन कांग्रेस विधायक जनक ध्रुव ने गौण वनोपज के स्वामित्व से संबंधित सामुदायिक अधिकार उपबंध-3 के क्रियान्वयन का मुद्दा उठाया। इस पर मंत्री नेताम ने स्पष्ट किया कि लघु वनोपज की दरें भारत सरकार द्वारा तय की जाती हैं और उन्हीं दरों के अनुसार संग्रहण किया जाता है। कटाई के बाद लकड़ी को कष्टागार भेजा जाता है, जहाँ उसकी नीलामी की जाती है, और प्राप्त धनराशि संबंधित समिति को भेजी जाती है।
जनक ध्रुव ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां नौ ग्राम सभाओं को वनोपज का मूल्य निर्धारण कर चार करोड़ रुपए मुआवजा राशि प्रदान की गई। इसके जवाब में मंत्री नेताम ने आश्वासन दिया कि छत्तीसगढ़ में भी सामुदायिक पट्टा प्राप्त समितियों को अधिग्रहित वन क्षेत्र की पूरी राशि दी जाएगी।
इसके साथ ही, विधायक ध्रुव ने मांग की कि अलग-अलग पेड़ों के लिए अलग मूल्य निर्धारण किया जाए। इस पर मंत्री नेताम ने कहा कि सरकार नियमानुसार सभी प्रक्रियाओं का पालन कर रही है।