बेमेतरा। इस जिले में हुए ग्राम पंचायत चुनाव में मतदान अधिकारी की ऐसी लापरवाही सामने आयी है, जिसके चलते यहां सरपंच का चुनाव निरस्त करने की नौबत आ गई है। इस पंचायत में सरपंच का पद पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित होने के बावजूद दूसरे वर्ग की एक महिला ने चुनाव लड़ा और जीत भी गई। अब इस बात का खुलासा हुआ है कि उक्त महिला पिछड़ा वर्ग की है ही नहीं। ऐसे में इस चुनाव को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

तीन प्रत्याशी थे चुनाव मैदान में
यह मामला साजा जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम जानों का है। यहां हुए ग्राम पंचायत चुनाव में सरपंच का पद पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित था। इस पद के लिए तीन महिलाएं चुनाव मैदान में थीं। इनमें से एक लता हेमंत कौशल भी थी, जिसने पिछड़ी जाति में नहीं होने के बावजूद सरपंच पद के लिए नामांकन दाखिल किया। इस दौरान एक अन्य प्रत्याशी के समर्थक विनोद पटेल का कहना है कि उसने लता हेमंत कौशल की जाति को लेकर आपत्ति भी जताई थी, मगर यहां मौजूद चुनाव अधिकारी ने इसे अनसुना कर दिया। इस तरह अपात्र होने के बावजूद लता हेमंत चुनाव लड़कर जीत गई और अधिकारी ने उन्हें सरपंच का प्रमाण पत्र भी दे दिया।
महार को अजा में कर लिया गया है शामिल
इस मामले में शिकायतकर्ता विनोद पटेल ने बताया कि हाल ही में भारत सरकार ने राजपत्र में संशोधित अधिनियम प्रकाशित किया था, जिसमें 14 अगस्त 2023 को देशभर में महार, मेहार, माहौर सहित छह अन्य जाति को अनुसूचित जाति में शामिल कर लिया गया है। इसके चलते विजयी उम्मीदवार लता कौशल स्वयं अयोग्य हो जाती हैं, क्योंकि वह महार जाति के अंतर्गत आती है। विनोद पटेल का कहना है कि यह सब मामला चुनाव अधिकारी को बताया गया था, इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया।
निर्वाचन शून्य घोषित करने की मांग
विनोद पटेल ने तथ्यों से अवगत कराते हुए शासन से मांग की है कि इस मामले में चुनाव अधिकारी के खिलाफ कारवाई की जाए और लता कौशल के निर्वाचन को शून्य घोषित किया जाए। पटेल ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब राजपत्र में यह बात स्पष्ट तौर पर लिखा है, इसके बावजूद अधिकारी गलती कर रहे हैं। शिकायत के बाद एसडीएम साजा धनीराम रात्रे ने कहा है कि जल्द से जल्द जांच के बाद इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।