रायपुर/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन ने आज राजयसभा में सरकार से सवाल पूछा कि क्या छत्तीसगढ़ सरकार में ‘आयुष्मान’ का 6 हजार करोड़ रुपया बकाया है, जिसके कारण निजी और सरकारी अस्पताल आयुष्मान के तहत इलाज करने से मना कर रहे हैं? क्या ये सही है कि आप ‘आयुष्मान’ के तहत 5 लाख रुपए प्रति व्यक्ति देते हैं, जिसमें आपने बड़ी बीमारियों का जिक्र किया। लेकिन अगर अस्पतालों में 1.5 या 2.5 लाख रुपए का खर्च आता है तो पूरा पैसा आयुष्मान से नहीं कटता, मरीजों को अपने घर से देना पड़ता है?

क्या कहा स्वास्थ्य मंत्री ने..?

राज्यसभा में इस सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने पहले तो यह कह दिया कि आपका प्रश्न NHM से संबंधित है। इसका प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत से संबंध नहीं है। वहीं बकाये का जिक्र करते हुए मंत्री नड्डा ने कहा कि छत्तीसगढ़ तो क्या देश के किसी भी राज्य में आयुष्मान भारत का केंद्र का कोई भी बकाया नहीं है। वे इस बारे में संज्ञान लेते हुए पता लगाएंगे, और अगर कोई बात होगी तो जो करना होगा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि बकाये की अगर कोई समस्या है तो वह स्टेट गवर्नमेंट की होगी, इसे उन्हें सॉल्व करना है। केंद्र सरकार की ओर से आयुष्मान योजना का कोई बिल पेंडिंग नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटाइजेशन के चलते कुछ एलर्ट जरूर आते हैं, जिसके बारे में क्वेरी करके भुगतान कर दिया जाता है।

क्या है हकीकत..?

छत्तीसगढ़ में आयुष्मान भारत सहित अन्य स्वास्थ्य योजनाओं की बात करें तो यह सभी को मालूम है कि इस योजना के तहत मरीजों का इलाज करने के एवज में निजी अस्पतालों को सरकार से लाखों-करोड़ों रूपये लेना है। कई अस्पतालों ने तो बकाया ज्यादा होने के चलते इस योजना के तहत इलाज करने से ही मना कर दिया है। वर्तमान में राज्य सरकार अस्पतालों के अक्टूबर-नवंबर महीने के बकाये का भुगतान कर रही है।

राज्यसभा में किये गए सवाल और जवाब के बारे में IMA के डॉ राकेश गुप्ता का कहना है कि सांसद और मंत्री दोनों की बातें जमीनी सच्चाई से काफी दूर हैं। छत्तीसगढ़ में आयुष्मान योजना का 6000 करोड़ का कोई बकाया केंद्र के ऊपर नहीं है। हां, नियमित तौर पर 15 से 17 सौ करोड़ का बकाया केंद्र के ऊपर जरूर रहता है। केंद्रीय मंत्री का यह कहना गलत है कि केंद्र का आयुष्मान भारत के तहत राज्यों पर बकाया नहीं है। अगर बकाया नहीं है तो राज्य सरकार अस्पतालों का भुगतान क्यों नहीं कर रही है। डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि केंद्र को आयुष्मान भारत के तहत राज्यों को एक लाख करोड़ से ऊपर का भुगतान करना बाकी है और भुगतान सही समय पर नहीं होने से कई राज्यों ने इस योजना को बंद कर दिया है।