रायपुर। प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने दिसंबर में डीएमएफ का दुरूपयोग और कोयले की अफरातफरी के मामले की केंद्र से शिकायत की थी। ननकीराम की शिकायत पर पीएमओ के अनुभाग अधिकारी केशव माधव शर्मा ने मुख्य सचिव और केंद्रीय खान मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी राकेश थापलियाल ने छत्तीसगढ़ माईनिंग विभाग के डायरेक्टर को मामले की जांच के लिए पत्र लिखा है।

बता दें कि दिसंबर माह में पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने छत्तीसगढ़ में डीएमएफ में 10 हजार करोड़ से भी अधिक के घोटाले का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सर्वाधिक डीएमएफ वाले कोरबा और दंतेवाड़ा में सीएसआर मद में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। कंवर ने मौजूदा कलेक्टर पर भी गंभीर आरोप लगाए थे।

कंवर ने राजधानी में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि प्रदेश में डीएमएफ मद के कार्यों में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। जब से डीएमएफ की शुरूआत हुई है, तब से अब तक कोरबा-दंतेवाड़ा और प्रदेश के सभी जिलों के कार्यों की जांच सीबीआई-ईडी के जरिए कराने के लिए पूर्व में भी उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। इसके बाद जांच-पड़ताल और कार्रवाई भी हुई है।

अंडर ब्रिज का काम डीएमएफ से कराए जाने पर उठाया था सवाल
ननकी राम कंवर ने कोरबा में भ्रष्टाचार के प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि सोनालिया पुल में अंडरब्रिज का कार्य चल रहा है। कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत के द्वारा इस कार्य के लिए डीएमएफ की राशि दुरूपयोग करते हुए लिए लगभग 80 करोड़ स्वीकृत किये गए, जबकि नियमानुसार डीएमएफ से यह काम नहीं हो सकता। वहीं, इस निर्माण कार्य के प्रभावितों को मुआवजा भी डीएमएफ से ही दिया जा रहा है। कंवर ने मौजूदा कलेक्टर पर आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार करने के लिए ही डीएमएफ मद से यह काम कराया जा रहा है।

‘पूर्व कलेक्टरों ने भी किया घोटाला’
कंवर ने पूर्ववर्ती कलेक्टरों पर भी आरोप लगाए, और कहा कि पद का दुरूपयोग कर कई सौ करोड़ घोटाला किया गया। कंवर ने कहा कि सरकारी राशि का गोलमाल करने के लिए अपने मनमर्जी से कार्य स्वीकृत कर सामग्री सप्लाई, प्रशिक्षण, स्ट्रीट लाईट, महिला समितियों को प्राप्त सामग्री, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास विभाग, उद्यान विभाग में स्तरहीन निर्माण और, स्तरहीन सप्लाई बाजार दर से अधिक दर पर कार्य किया गया है। यह करीब 5 सौ करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार है। इसकी शिकायत भी की गई है।

सिपेट को भेजा गया 25 करोड़ आज तक नहीं मिला..?
कंवर ने अपनी शिकायत में लिखा है कि कोरबा कलेक्टर के द्वारा डीएमएफ की राशि में से सिपेट रायपुर को दिनांक 18.09.2018 को 25 करोड़ रूपये हस्तांतरित किया गया है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि डी.एम.एफ. की राशि का हस्तांतरण किसी अन्य जिले में अन्य कार्य के लिये नहीं किया जा सकता परंतु तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए 25 करोड़ सिपेट को भेजा, मगर सिपेट, रायपुर से सूचना के अधिकार में पूछने पर बताया गया कि दिनांक 01.04.2018 से 31.03.2019 तक सिपेट रायपुर को डीएमएफ कोरबा से कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है। इस मामले की जांच की जानी चाहिए।

कोयला मंत्री से शिकायत
पूर्व गृह मंत्री ने पूर्व में भी डीएमएफ के हो रहे दुरूपयोग की शिकायत की थी। पिछले दिनों उन्होंने केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी से भी मुलाकात कर उनसे डीएमएफ में व्याप्त भ्रष्टाचार के साथ ही सीएसआर के फंड के दुरूपयोग की भी शिकायत की। उन्होंने जनता के पैसे के दुरूपयोग की सीबीआई जांच की मांग की। साथ ही एसईसीएल के भूविस्थापितों को रोजगार और मुआवजे को लेकर भी शिकायत की है।

कंवर ने शिकायत में बताया कि कोरबा में एसईसीएल की खदानें दीपिका, कुसमुंडा, गेवरा एवं अन्य जगहों पर हैं, जहां ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित की गई है लेकिन पात्र भूविस्थापितों को मुआवजा-व्यवस्थापन व नौकरी नहीं दी गई है। इसके निराकरण का अनुरोध भी उन्होंने किया था।

बता दें कि कोरबा जिले में हुए हजारों करोड़ के डीएमएफ घोटाले में पूर्व कलेक्टर रानू साहू के आलावा सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास माया वारियर और एक व्यवसायी जेल की हवा खा रहे हैं। ईडी द्वारा इस मामले की जांच की गई है, मगर यहां पदस्थ रहे अन्य कलेक्टरों द्वारा किये गए घोटालों पर इस केंद्रीय एजेंसी द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई थी।