जबलपुर। डिंडोरी जिले के देवरा ग्राम पंचायत की स्थिति काफी चिंताजनक है। यहां न केवल जितेंद्र और लक्ष्मी का रिश्ता प्रभावित हुआ है, बल्कि कई और महिलाओं ने भी इसी वजह से मायके का रुख कर लिया है। कुछ महिलाएं तो घर छोड़ने की तैयारी में हैं।

पति-पत्नी का रिश्ता प्रेम, विश्वास और साथ निभाने की बुनियाद पर टिका होता है, लेकिन जब जीवन की बुनियादी जरूरतें पूरी न हों तो यह रिश्ता भी मुश्किलों से गुजरने लगता है। ऐसा ही एक अनोखा मामला सामने आया है मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले में, जहां पति-पत्नी के रिश्ते में दूरियां पानी की किल्लत के कारण आ गईं और पत्नी अपने बच्चों को लेकर मायके चली गई. पत्नी का कहना है कि जब तक गांव में पानी नहीं आता, तब तक वह लौटकर ससुराल नहीं आएगी।

फोन पर मानाने की कोशिश, मगर…
डिंडोरी के जिला मुख्यालय से लगे देवरा ग्राम पंचायत के निवासी जितेंद्र सोनी जनसुनवाई में अपनी पीड़ा लेकर पहुंचे। उनका कहना था कि पानी की भीषण समस्या के चलते उनकी पत्नी लक्ष्मी सोनी दो बच्चों को लेकर मायके चली गई है। जितेंद्र ने कैमरे के सामने मोबाइल पर अपनी पत्नी से बात की और उसे मनाने की कोशिश भी की, लेकिन पत्नी की साफ शर्त थी कि जब तक घर में पानी नहीं आएगा, मैं वापस नहीं आऊंगी।

कलेक्टर भी बात सुनकर चौंकी
यह एक आम घरेलू झगड़ा नहीं था, बल्कि एक सामाजिक और व्यवस्थागत समस्या थी, जो सीधे एक दंपति के रिश्ते को प्रभावित कर रही थी। कलेक्टर हर्षिका सिंह भी इस अनोखी शिकायत को सुनकर चौंक गईं, लेकिन उन्होंने तुरंत गंभीरता से लेते हुए पीएचई विभाग को गांव भेजा और पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हो गया।
पानी की वजह से रिश्ते हुए खराब
देवरा ग्राम पंचायत की स्थिति और भी ज्यादा चिंताजनक है. यहां न केवल जितेंद्र और लक्ष्मी का रिश्ता प्रभावित हुआ है, बल्कि कई और महिलाओं ने भी इसी वजह से मायके का रुख कर लिया है. कुछ महिलाएं तो घर छोड़ने की तैयारी में हैं। स्थानीय महिला सविता बाई कहती हैं कि, “पानी के लिए हर दिन जद्दोजहद करनी पड़ती है, न नहाने को पानी, न पीने को।” वहीं सावित्री बाई बताती हैं, हमारे गांव में दो-दो नलजल योजनाएं हैं, लेकिन फिर भी पानी नहीं मिलता।

इस हालात में पति-पत्नी का रिश्ता भी समाज की बदहाली का शिकार बन गया है। एक ओर पति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने को तैयार है, दूसरी ओर पत्नी सिर्फ इतना चाहती है कि बच्चों को कम से कम पीने का साफ पानी मिल जाए। रिश्तों में दरार की असली वजह न तो आपसी मतभेद है और न ही किसी तीसरे का हस्तक्षेप, बल्कि वो सरकारी योजनाएं हैं, जो कागजों में तो सफल हैं, लेकिन जमीन पर नाकाम।
कलेक्टर के निर्देश पर पहल शुरू
सोनी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए डिंडोरी के कलेक्टर ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग के अधिकारियों को जिला मुख्यालय से सिर्फ तीन किमी दूर स्थित देवरा में पानी की कमी को दूर करने का निर्देश दिया।
छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा आदिवासी बहुल डिंडोरी जिला मप्र की राजधानी भोपाल से करीब 460 किमी दूर स्थित है। सोनी ने मीडिया कर्मियों को बताया कि कि उन्होंने अपनी पत्नी लक्ष्मी को गांव में ही रहने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। उन्होंने कहा, “मैंने उससे कहा कि हमारे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी, लेकिन उसने कहा कि पानी की समस्या के कारण गांव में कोई भविष्य नहीं है।”
एक हैंड पंप पर ढाई हजार लोग निर्भर..!
सोनी ने कहा, ” मैं एक बेरोजगार मजदूर हूं और मेरे लिए अपने दम पर पानी की व्यवस्था करना संभव नहीं है।” सोनी ने बताया कि उसके गांव में एक हैंडपंप है और 2,000-2,500 लोग इस पर निर्भर हैं।
पीएचई अधिकारी अफजल अमानुल्ला ने इस मुद्दे पर मीडिया को बताया कि उन्होंने समस्या के समाधान के लिए काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, “गांव में एक बोरवेल है जिसे ‘नल, जल’ योजना के तहत खोदा गया है, लेकिन जल स्तर गिरने से लोगों को देवरा गांव में पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि उन्हें पड़ोसी गांव की पानी की टंकी से पानी का कनेक्शन दिया जाए।”
अमानुल्ला ने कहा कि देवरा में पुरानी पाइपलाइन को पानी की टंकी से जोड़ने का काम शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम पानी टंकी के जरिए पानी की आपूर्ति शुरू करने जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि देवरा में मौजूदा पाइपलाइन नेटवर्क को पानी की टंकी से जोड़ने के बाद सोनी और अन्य ग्रामीणों को पानी की बेहतर सुविधा मिलेगी। अमानुल्ला ने कहा कि पीएचई गांव के सभी इलाकों को जलापूर्ति लाइनों के माध्यम से जोड़ने की कोशिश कर रहा है।