0 CJI बोले- मामला कोर्ट में है, यहीं होगा फैसला

0 वक्फ कानून के विरोध में हो रही हिंसा पर जताई चिंता

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच में दो घंटे सुनवाई हुई। इस कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं लगाई गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन पर केंद्र से जवाब मांगा है, लेकिन कोर्ट ने कानून के लागू होने पर रोक नहीं लगाई है।

सुको ने केंद्र से पूछा ये सवाल…

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ कानून के तहत बोर्ड में अब हिंदुओं को भी शामिल किया जाएगा। यह अधिकारों का हनन है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है। हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई। इस पर SG ने कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि हम इस पर फैसला करेंगे।

‘हमारा अंतरिम आदेश इक्विटी को संतुलित करेगा’

सीजेआई ने कहा, हम अंतर‍िम आदेश जारी करने जा रहे हैं। हमारा अंतरिम आदेश इक्विटी को संतुलित करेगा। हम कहेंगे कि जो भी संपत्तियां कोर्ट ने वक्फ घोषित की हैं, उन्हें गैर-वक्फ नहीं माना जाएगा, चाहे वह उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ हो या नहीं। कलेक्टर कार्यवाही जारी रख सकते हैं.. लेकिन प्रावधान प्रभावी नहीं होगा। बोर्ड और परिषद के संबंध में पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, लेकिन अन्य सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।

कपिल सिब्बल ने दी ये दलील

वक्फ कानून को रद्द करने के पक्ष में दलील देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि इस्लाम में उत्तराधिकारी मृत्यु के बाद मिलता है। कपिल सिब्बल ने नए कानून के उस बदलाव पर आपत्ति जताई है, जिसमें कहा गया कि वक्फ को संपत्ति दान करने के लिए जरूरी है कि वह व्यक्ति कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो। कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि राज्य सरकार में कोई ये बताने वाला कौन होता है कि इस्लाम धर्म में विरासत किसके पास जाएगी। सरकार कैसे तय करेगी मैं मुस्लिम हूं या नहीं।

नए वक्फ कानून का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा कि धारा 9 पर नजर डालिए। इसमें कुल 22 सदस्य है जिसमें 10 मुसलमान होंगे।
इस पर सीजेआई ने कहा कि दूसरे प्रावधान को देखिए। क्या इसका मतलब यह है कि पूर्व अधिकारी को छोड़कर केवल दो सदस्य ही मुस्लिम होंगे।

दलील को आगे बढ़ाते हुए सिब्बल ने कहा कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल 1995 के तहत, सभी नामांकित व्यक्ति मुस्लिम थे। मेरे पास चार्ट है। लेकिन नए कानून के प्रावधान तो सीधा उल्लंघन है।

सीजेआई ने कहा कि जामा मस्जिद सहित सभी प्राचीन स्मारक संरक्षित रहेंगे। इस पर सिब्बल ने दलील दी कि मेरे पास एक चार्ट है जिसमें सभी मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति माना गया है। तो सीजेआई ने पूछा कि क्या ऐसा कोई कानून नहीं है जिसमें प्रावधान हो कि अनुसूचित जनजातियों की संपत्ति बिना अनुमति के हस्तांतरित नहीं की जा सकती?

सीजेआई ने कहा कि ऐसे कितने मामले होंगे? अगर इसे प्राचीन स्मारक घोषित किए जाने से पहले वक्फ घोषित किया जाता है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह वक्फ ही रहेगा, आपको इस पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए। जब तक कि इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बाद वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता।

संशोधन के समर्थन में भी कई याचिकाएं

संशोधन के विरोध में दायर याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की कई धाराओं को संविधान विरोधी बताते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की गई है। वहीं वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के समर्थन में कई राज्यों ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और राजस्थान ने अर्जी दाखिल कर मामले में पक्षकार बनने की अनुमति मांगी है। इन राज्यों ने वक्फ कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की इस दलील का विरोध किया है कि वक्फ संशोधन अधिनियम संविधान का उल्लंघन करता है।

‘मामला कोर्ट में है, और फैसला…’

उधर केंद्र सरकार को भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट संसद से पारित इस कानून को गिराएगा नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामला कोर्ट में है, और फैसला यहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट में असदुद्दीन ओवैसी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकील कोर्ट में मौजूद रहे।

कल भी होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में गुरुवार 2 बजे सुनवाई करेगा। सुनवाई में अपीलकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड बनाने, पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन, बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिम और विवादों के निपटारों को लेकर मुख्य दलीलें दीं।

CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। वहीं कानून के खिलाफ कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह दलीलें रख रहे हैं।’