टीआरपी डेस्क। गौरेला के ज्योतिपुर तिराहे से छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की कांस्य प्रतिमा के रातों-रात गायब हो जाने से पूरे क्षेत्र में रोष और राजनीतिक तनाव व्याप्त हो गया है। यह प्रतिमा 29 मई को अनावरण के लिए तैयार की गई थी, लेकिन उससे तीन दिन पहले ही अज्ञात लोगों द्वारा हाइड्रा क्रेन की मदद से इसे हटा दिया गया। बाद में यह मूर्ति नगरपालिका बस स्टैंड परिसर में मिली।

सीसीटीवी में कैद हुई पूरी घटना
करीब 700 किलो वजनी इस कांस्य प्रतिमा को हटाते हुए एक क्रेन की गतिविधि स्थानीय सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड हुई है। हालांकि मूर्ति को सुरक्षित स्थान पर पाए जाने के बावजूद, यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्रेन किसकी थी और मूर्ति को क्यों हटाया गया।
जनता में गुस्सा, अमित जोगी ने शुरू किया आमरण अनशन
मूर्ति के अचानक गायब होने की खबर फैलते ही ज्योतिपुर तिराहे पर भारी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के अध्यक्ष अमित जोगी ने इसे न केवल अपने पिता का अपमान बताया, बल्कि छत्तीसगढ़ की जनभावनाओं से खिलवाड़ करार दिया। उन्होंने घोषणा की कि जब तक प्रतिमा को उसी स्थान पर पुनः स्थापित नहीं किया जाता, वे आमरण अनशन पर बने रहेंगे।
जोगी कांग्रेस ने जताया राजनीतिक षड्यंत्र का संदेह
जोगी कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण को सुनियोजित राजनीतिक साजिश बताया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि स्वर्गीय अजीत जोगी केवल नेता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा थे। उनकी प्रतिमा को इस प्रकार हटाया जाना गंभीर असंवेदनशीलता और जनभावनाओं का अपमान है।
घटना के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। क्षेत्र में पुलिस बल की तैनाती की गई है और वरिष्ठ अधिकारी स्थल पर निगरानी कर रहे हैं। थाना प्रभारी नवीन बोरकर ने पुष्टि की है कि मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। वहीं, तहसीलदार शेष नारायण जायसवाल ने इसे असामाजिक तत्वों की हरकत बताते हुए कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
क्या नगरपालिका ने दी थी प्रतिमा हटाने की हिदायत?
सूत्रों के अनुसार, दो दिन पहले नगरपालिका सीएमओ ने ज्योतिपुर के सौंदर्यीकरण कार्य के ठेकेदार को चेतावनी दी थी कि बिना अनुमति लगाई गई प्रतिमा को 24 घंटे के भीतर हटाया जाए। इससे संदेह गहराता है कि प्रतिमा को प्रशासनिक आदेश पर हटाया गया या फिर इसके पीछे कोई और मकसद था।