टीआरपी डेस्क। एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 (बोइंग 787, VT-ANB) अहमदाबाद में एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गई। यह विमान मेघाणी नगर स्थित मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग पर आकर गिरा, जिसमें फ्लाइट में सवार सभी 241 यात्रियों के साथ कई एमबीबीएस छात्रों की भी जान चली गई।

पीड़ित परिवारों को करोड़ों का मुआवजा
इस भयावह हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को करीब 1.5 करोड़ रुपए तक का मुआवजा दिए जाने की संभावना है। यह राशि मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत तय की गई है, जिस पर भारत 2009 में हस्ताक्षर कर चुका है। इस संधि के तहत विमानन कंपनियों को यात्रियों की मृत्यु या चोट के लिए आर्थिक क्षतिपूर्ति देनी होती है।
एअर इंडिया पर नहीं होगा बड़ा वित्तीय असर
फ्लाइट AI-171 की पेरेंट कंपनी टाटा ग्रुप पर इस हादसे का सीधा वित्तीय असर नहीं पड़ेगा क्योंकि पूरा मामला बीमा के दायरे में है। बीमा कंपनियां विमान के नुकसान के साथ-साथ यात्रियों और जमीन पर हुए नुकसान की भी भरपाई करेंगी।
360 करोड़ तक की भरपाई की उम्मीद
विशेषज्ञों के मुताबिक, हादसे में मारे गए 241 यात्रियों और मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स के परिजनों को मिलाकर करीब 360 करोड़ रुपए तक का मुआवजा दिया जा सकता है। साथ ही, विमान जिस इमारत से टकराया, उसकी मरम्मत और तीसरे पक्ष के नुकसान की भरपाई भी ऑपरेटर (एअर इंडिया) को करनी होगी।
एअर इंडिया को भी मिलेगा बीमा भुगतान
दुर्घटनाग्रस्त विमान की बीमा पॉलिसी के तहत एअर इंडिया को 680 से 980 करोड़ रुपए तक का बीमा भुगतान मिलने की संभावना है। एयरक्राफ्ट का कवरेज और नुकसान के आंकलन के आधार पर यह राशि तय की जाएगी।
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन: क्या है ये संधि?
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो हवाई यात्रियों के अधिकारों की रक्षा करती है। इसके अंतर्गत, यदि किसी दुर्घटना में यात्री की मौत होती है या वह घायल होता है, तो एयरलाइन को निश्चित सीमा तक मुआवजा देना अनिवार्य होता है। मुआवजे की गणना अंतरराष्ट्रीय मुद्रा इकाई एसडीआर (Special Drawing Rights) के आधार पर होती है।
जल्द मिल सकता है अंतरिम मुआवजा
सूत्रों के मुताबिक, एअर इंडिया जल्द ही पीड़ित परिवारों को अंतरिम राहत राशि देने की घोषणा कर सकती है। यह मुआवजा पूरी जांच और प्रक्रिया पूरी होने से पहले दी जाने वाली प्रारंभिक सहायता होगी।
यह विमान हादसा न केवल सैकड़ों परिवारों को शोक में डुबो गया, बल्कि एयर ट्रैवल सुरक्षा और बीमा व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े कर गया है।