टीआरपी डेस्क। मध्य पूर्व एक बार फिर बड़े सैन्य संघर्ष के मुहाने पर खड़ा है। इजरायल ने हाल ही में ईरान की राजधानी तेहरान और उसके आसपास कई अहम ठिकानों को निशाना बनाया, जिसके जवाब में ईरान ने भी तेल अवीव और यरुशलम पर मिसाइल हमले किए। दोनों देश पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, जिससे पूर्ण युद्ध की आशंका गहराती जा रही है।

अब सवाल उठता है कि अगर ईरान और इजरायल के बीच खुला युद्ध होता है, तो कौन किस पर भारी पड़ेगा? जनसंख्या, क्षेत्रफल और सेना की संख्या में ईरान काफी बड़ा है, फिर भी इजरायल को सैन्य रूप से ज्यादा ताकतवर क्यों माना जा रहा है?

1. क्षेत्रफल और जनसंख्या में भारी है ईरान

ईरान का कुल क्षेत्रफल करीब 16 लाख वर्ग किलोमीटर है और इसकी जनसंख्या 8.8 करोड़ है, जबकि इजरायल सिर्फ 22 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला है और उसकी जनसंख्या 90 लाख है। भूगोल और जनसंख्या के लिहाज से दोनों देशों की ताकत में बड़ा अंतर है।

2. सेना की संख्या में ईरान आगे

ईरान के पास करीब 6 लाख सक्रिय सैनिक और 2 लाख रिवोल्यूशनरी गार्ड्स हैं। इनके अलावा प्रॉक्सी युद्ध (proxy war) में भी उसकी पकड़ मजबूत है सीरिया, इराक, लेबनान और यमन जैसे देशों में उसके समर्थक गुट सक्रिय हैं। हालांकि, बीते एक साल में इजरायल और अमेरिका की कार्रवाई से उनेके प्रॉक्सी नेटवर्क को बड़ा नुकसान हुआ है।

3. हथियारों में पीछे है ईरान

ईरान के पास हथियार तो हैं, लेकिन उनमें से कई 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले के हैं। रूस से मिले कुछ आधुनिक हथियारों के अलावा ईरान के पास अपने बनाए हुए शाहद ड्रोन हैं, जो यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल हो चुके हैं। बावजूद इसके, उसकी सैन्य तकनीक इजरायल की तुलना में काफी पुरानी मानी जाती है।

4. नेतृत्व संकट में ईरानी सेना

तेहरान पर इजरायली हमले में रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख जनरल होसैन सलामी और ईरानी सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे जा चुके हैं, जिससे ईरान के सैन्य नेतृत्व पर गहरी चोट पहुंची है।

5. इजरायल की तकनीकी बढ़त और रक्षात्मक ताकत

इजरायल की सैन्य क्षमता मिडिल ईस्ट में सबसे उन्नत मानी जाती है। उसके पास 1.7 लाख सक्रिय सैनिक और 4 लाख रिजर्व सैनिक हैं। इजरायली वायुसेना, मिसाइल डिफेंस सिस्टम (जैसे आयरन डोम), और साइबर वारफेयर में उसकी विशेषज्ञता दुनिया भर में मानी जाती है।

हाल के हमलों में इजरायल ने ईरान की तरफ से दागी गई कई दर्जन मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया, जो उसकी मिसाइल डिफेंस की ताकत को दर्शाता है।

6. अमेरिका का खुला समर्थन

इजरायल को अमेरिका का जबरदस्त समर्थन प्राप्त है। भले ही इजरायल ने कभी आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार नहीं किया कि उसके पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन माना जाता है कि वह मिडिल ईस्ट का एकमात्र परमाणु संपन्न देश है।

अमेरिका ने फिलहाल अरब सागर में 60 फाइटर जेट्स और हजारों सैनिकों की तैनाती कर रखी है और स्पष्ट कर दिया है कि अगर ईरान ने बड़ी कार्रवाई की, तो वह इजरायल के साथ खड़ा होगा।

7. परमाणु ठिकानों पर इजरायली हमला

रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान यूरेनियम संवर्धन (enrichment) के जरिये परमाणु बम बनाने के करीब पहुंच गया था। मगर इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत उसके कई परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया है। इससे ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा को बड़ा झटका लगा है।

8. युद्ध की आशंका कितनी गहरी?

ईरान और इजरायल की सीमाएं आपस में नहीं मिलतीं, इसलिए सीधे जमीनी युद्ध की संभावना कम है। लेकिन मिसाइल और ड्रोन हमलों के ज़रिये टकराव तेज हो रहा है। अगर ईरान कोई बड़ा कदम उठाता है, तो अमेरिका की खुली भागीदारी के साथ यह टकराव एक क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है।

रणनीति और तकनीक तय करेगी हार-जीत

संख्या के हिसाब से ईरान भले ही बड़ा है, लेकिन युद्ध सिर्फ सैनिकों और टैंकों से नहीं लड़े जाते। तकनीक, खुफिया क्षमता, रक्षात्मक ढांचे और अंतरराष्ट्रीय समर्थन के मामले में इजरायल आगे है। यही वजह है कि छोटे आकार के बावजूद, इजरायल को इस संभावित युद्ध में भारी माना जा रहा है।