रायगढ़। जिले के तमनार तहसील के ग्राम मुडागांव में अदानी समूह द्वारा महाजेनको के कोयला खदान के लिए जंगल कटाई शुरू करने की खबर ने स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी है। कटाई शुरू होते ही ग्रामीणों द्वारा विरोध शुरू कर दिया गया। इस बीच जब लैलूंगा विधायक विद्यावती राठिया भी विरोध करने पहुंची तो सुरक्षा बलों ने उन्‍हें भी गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है पुलिस ने विरोध कर रहे कई नेताओं सहित स्‍थानीय ग्रामीणों को गिरफ्तार किया है।

कटाई के लिए नहीं ली गई सहमति

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में घने जंगल और जैव-विविधता से भरपूर वन क्षेत्र हैं, जो न केवल पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदायों की आजीविका का भी आधार हैं। कटाई की खबर के बाद ग्रामीणों में असंतोष बढ़ रहा है। कई लोगों ने इसे पर्यावरण के साथ-साथ उनकी संस्कृति और आजीविका पर हमला बताया है। ग्रामीणों का आरोप है कि कटाई के लिए उनकी सहमति नहीं ली गई और न ही इसकी पर्याप्त जानकारी दी गई।

पूर्व भाजपा विधायक ने भी जताया विरोध

इस दौरान मौके पर पहुंचे पूर्व भाजपा विधायक सत्यनंद राठिया ने पेड़ों की कटाई और लोगों की गिरफ़्तारी को गलत बताया। उन्होंने कहा कि कटाई के लिए तो ग्रामसभा भी नहीं ली गई है। वे इस मुद्दे पर ग्रामीणों के साथ हैं।

स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

पर्यावरणविदों का कहना है कि रायगढ़ का यह क्षेत्र जैव-विविधता के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ के जंगल न केवल कार्बन अवशोषण में मदद करते हैं, बल्कि कई दुर्लभ प्रजातियों का भी निवास स्थान हैं। जंगल कटाई से न केवल पर्यावरण को नुकसान होगा, बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदायों की आजीविका पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा, “जंगल हमारी माँ हैं। इन्हें काटने का मतलब है हमारी जड़ों को काटना। सरकार और कंपनियाँ हमें बिना बताए हमारी जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर रही हैं।”

एक पेड़ माँ के नाम सन्देश, और अगले दिन कटाई

यह कटाई उस समय शुरू हुई, जब एक दिन पहले ही छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने तमनार में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था। स्थानीय आदिवासियों ने उनका स्वागत किया था, लेकिन अगले ही दिन जंगल कटाई की खबर ने उनके इस संदेश को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

पीयूसीएल ने की गिरफ़्तारी की निंदा

रायगढ़ में अडानी द्वारा संचालित महाजेनको खदान के लिए वनों की कटाई का विरोध करने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी की पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने निंदा की है।

पीयूसीएल ने प्रेस नोट जारी कर रायगढ़ जिले में पर्यावरण रक्षकों और स्थानीय वनवासी समुदायों पर अलोकतांत्रिक कार्रवाई की कड़ी निंदा की है, जहां अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा खदान डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) के रूप में महाजेनको से जुड़ी एक कोयला खनन परियोजना के लिए वन भूमि को साफ किया जा रहा है। यह कार्य उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के समक्ष लंबित कानूनी चुनौतियों के बावजूद हो रहा है।

गिरफ़्तारियों को बताया अलोकतांत्रिक

पीयूसीएल का कहना है कि कम से कम 10 व्यक्तियों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया, जिनमें प्रसिद्ध कार्यकर्ता और चल रहे कानूनी मामलों में याचिकाकर्ता रिनचिन, अक्ष नायक, श्याम राठिया, कन्हाई पटेल और पुंज बिहारी (लैलुंगा की स्थानीय विधायक विद्यावती सिदार के पति), साथ ही तीन आदिवासी महिलाएं – जगमती भगत, रईसमती सिदार और माधुरी महंत शामिल हैं, जो महुआ के फूल तोड़ रही थीं, जब उन्हें हिरासत में लिया गया। पीयूसीएल के मुताबिक ये गिरफ्तारियां स्पष्ट रूप से लोकतांत्रिक असहमति को दबाने और किसी भी कीमत पर अडानी के कॉर्पोरेट एजेंडे को सुविधाजनक बनाने की एक पूर्व-नियोजित रणनीति का संकेत देती हैं।

हिरासत में लिए गए लोगों को कथित तौर पर रेंज ऑफिस में रखा गया है, और उनकी औपचारिक गिरफ्तारी या कानूनी स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है।