बिलासपुर। भारतमाला परियोजना के तहत एक और मुआवजा घोटाला बिलासपुर-उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए हुई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में सामने आया है। इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार डीएस उइके और पटवारी सुरेश कुमार मिश्रा पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर शासन को लाखों का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा है। पुलिस ने दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। इनकी अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
फर्जी तरीके से लोगों के नाम जोड़े गए…
बिलासपुर के ढेका गांव में सामने आए इस मामले में आरोप है कि मुआवजा पाने के लिए सरकारी रिकॉर्ड में फर्जी तरीके से कुछ लोगों के नाम जोड़ दिए गए। राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर उनके नाम पर ज़मीन दर्ज की गई और फिर नामांतरण और बंटवारे की प्रक्रिया पूरी की गई। इसके चलते सरकार को वास्तविक से ज्यादा मुआवजा देने की नौबत आ गई।
जांच में हुआ खुलासा
नायब तहसीलदार राहुल शर्मा ने इस मामले में तोरवा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर एसडीएम और जिला स्तरीय जांच समिति ने पूरे मामले की जांच की थी। जांच में सामने आया कि तत्कालीन तहसीलदार डीएस उइके और पटवारी सुरेश मिश्रा ने कागजों में मिलकर गड़बड़ी की। यह भी पाया गया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अधिक मुआवजा तय किया गया जिससे शासन को आर्थिक नुकसान हुआ।
पटवारी को किया गया निलंबित
बता दें कि पटवारी सुरेश मिश्रा को एक दिन पहले ही निलंबित कर दिया गया है। उसकी तैनाती फिलहाल तखतपुर में थी, लेकिन अब उसे जिला मुख्यालय में अटैच किया गया है। बताया जा रहा है कि ढेका में पोस्टिंग के दौरान उसने यह गड़बड़ी की थी।
फिलहाल पुलिस ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल), और 34 (साझा इरादा) के तहत अपराध दर्ज किया है।
पुलिस की ओर से कहा गया है कि दोषियों के खिलाफ आगे और जांच कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं इस गड़बड़ी के कारण मुआवजा वितरण की प्रक्रिया रुकी हुई है, जिससे किसानों को भी परेशानी हो रही है।