टीआरपी डेस्क। कभी रजवाड़ों की शान और शांति का प्रतीक रहा सक्ती का ऐतिहासिक राजमहल अब लगातार विवादों का गढ़ बनता जा रहा है। बुधवार 25 जून को एक बार फिर यह राजसी भवन झगड़े, चीख-पुकार और तनाव का केंद्र बन गया। महल में रह रहे राजा धर्मेंद्र और बड़ी रानी के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प की खबर से पूरा इलाका सहम गया।
घटना का केंद्र बना महल कोई आम ज़मीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि वर्षों पुरानी विरासत है, जो अब राजनीतिक और पारिवारिक लड़ाई का अखाड़ा बन चुका है। यहां रह रही बड़ी रानी और राजा सुरेंद्र बहादुर के दत्तक पुत्र राजा धर्मेंद्र के साथ कई बार विवाद हो चुका है।
जानकारी के अनुसार, बुधवार 25 जून दोपहर करीब 4 बजे बड़ी रानी के समर्थकों ने महल को खाली कराने की कोशिश के दौरान वहां मौजूद राजा धर्मेंद्र के परिवार पर हमला कर दिया। जवाब में, टोलाडीह और जजंग गांवों से जुटे राजा समर्थकों ने मोर्चा संभाला और महल के भीतर घुसकर पलटवार किया। देखते ही देखते शाही परिसर हिंसा, हंगामे और मारपीट का मैदान बन गया।
मामला सिर्फ पारिवारिक झगड़ा भर नहीं है। वर्तमान में जेल में बंद भाजपा नेता व जिला पंचायत सदस्य राजा धर्मेंद्र के राजनीतिक रसूख और परिवारिक उत्तराधिकार को लेकर वर्षों से चल रहा विवाद अब सार्वजनिक टकराव का रूप ले चुका है।
सक्ती थाना प्रभारी अनवर अली के अनुसार, घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। मगर हैरानी की बात यह है कि किसी भी पक्ष ने कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई है, न ही कोई एफआईआर दर्ज हुई है। चार घंटे तक चले हंगामे के बाद भी प्रशासन की भूमिका सीमित और प्रतिक्रियाविहीन रही।