दामिनी बंजारे

रायपुर। शहर में आम लोगों की सुविधाओं को बढ़ाने के 2015 से स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत कई योजनाएं जारी है। जिसके तहत में नेकी की दीवार, तेलीबांधा झील शुद्धिकरण और कायाकल्प, शहीद स्मारक, टाउन हॉल, नालंदा परिसर, हेरिटेज वॉक, आनंद समाज पुस्तकालय, बापू की कुटिया, इंटर स्टेट बस टर्मिनल, वाटर एटीएम, आईटीएमएस, साइकिल ट्रैक, मल्टी लेवल पार्किंग, तालाबों का विकास, जवाहर बाजार शामिल हैं।
इनमें से कई योजनाएं शुरू तो हो चुकी हैं। इसके बावजूद भी इनका लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है। आज टीआरपी की टीम ने आनंद समाज वाचनालय पर जांच की, क्योंकि रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 15 जनवरी 2018 में 1.5 करोड़ रुपये खर्च करके परिसर का नवीनीकरण कराया था। साथ ही शौकीन पाठकों के लिए पुरानी किताबों का डिजिटलाइजेशन भी शुरू किया गया था। मगर आज भी वाचनालय पाठकों की राह तक रहा है।

अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति
1908 में बैरमजी पेस्टन की मदद से आनंद समाज वाचनालय का निर्माण कराया था। साल 1920 में गांधीजी ने यहां आम सभा को संबोधित किया था। धमतरी जाने से पहले गांधीजी यहीं रुके थे। आजादी के आंदोलन के दौरान गांधीजी 1920 और 1933 यानी एक दशक के अंतर में दो बार रायपुर आए। पहला मौका था 1920 में, जब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन छेड़ा था और रायपुर में उनका संबोधन आनंद समाज वाचनालय कैंपस में हुआ। फिर, 1933 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के सिलसिले में आए और सभा को यहीं संबोधित किया।
शहर की अनमोल धरोहर को सहेजन 1.5 करोड़ की लागत से इसका जीर्णोद्धार 2018 में किया गया। मगर 3 साल गुजरने के बाद भी एक भी व्यक्ति ने लाइब्रेरी की मेंबरशिप नहीं ली है। सिर्फ पेपर पढ़ने केे लिए लोग यहां आते हैं। इसके लिए लोगों से कोई चार्ज नहीं लिया जाता। लाइब्रेरी में जर्नल और न्यूज पेपर पढ़ने के लिए एंट्री फ्री रखी गई है। लाइब्रेरी में साहित्य, उपन्यास, कविता, नाटक, यात्रा, जीवनी, शब्दकोश जैसी किताबें उपलब्ध हैं। ये सभी बुक्स डिजिटल फॉर्मेट में भी उपब्ध हैं।
मेंबरशिप चार्ज 500 रुपए प्रति महीना है। इसके अलावा वन टाइम चार्ज के तौर पर मेंबरशिप के लिए 1500 रुपए कॉशन मनी का भी प्रावधान है। लाइब्रेरी सुबह 8 बजे से 11 बजे तक और शाम को 4 बजे से रात 8 बजे तक ओपन रहती है। दोपहर के समय पर पुस्तकालय बंद रहता है। यहां न तो मशीनें चालू हैं और न ही देखरेख के लिए कोई प्रभारी लाइब्रेरियन।
1.50 करोड़ खर्चने के बावजूद नहीं आते पाठक
आनंद समाज वाचनालय को नया स्वरूप दिया जा चुका है। रंग रोगन के अलावा नई मशीनें भी प्रदान की गई हैं। मगर यह एक भी मेंबर का नाम दर्ज नहीं है और न ही यहां पाठकों की भीड़ जुटती है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इतना खर्चने के बावजूद यहां पाठकों की उपस्थिती दर्ज क्यों नहीं होती?

करीब 10 हजार किताबों का संग्रह
आंनद समाज वाचनालय शहर के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। जहां दस हजार पुस्तकों का कलेक्शन है। जिसमें करीब सौ साल पुरानी पुस्तकें, लेख, शोध पत्र प्रख्यात साहित्यकार की अनमोल साहित्यिक निधि यहाँ रखी गईं हैं। जिसमें एक हजार किताबें दान के माध्यम से प्राप्त हुई हैं। जब हमें यहां आस-पास के लोगों से चर्चा की तो उनका कहना है कि यहां का समय लोगों के अनुरूप नहीं है।

डाटा एंट्री करने वालों के जिम्मे वाचनालय
आनंद समाज वाचनालय में छह डाटा एंट्री करने वाले लोग 2 गार्ड व 2 चपरासी लगे हुए हैं। जिनके जिम्मे ही पूरा वाचनालय है। न तो यहां प्रभारी लाइब्रेरियन हैं न ही सहायक। पुस्तकें लेने व जमा करने की जिम्मेदारी लेने वाला भी कोई नहीं है। किताबों को घर ले जाने की अनुमति नहीं है।

सभी मशीनें बंद
इस वाचनालय में बुक्स इशू करने वालीं मशीनें भी शामिल थीं। मगर वहां पर सभी मशीनें बंद पड़ी हुई हैं। यदि आप किताबें लेना भी चाहते हैं तो यहां इसकी जानकारी देने वाला भी कोई नहीं है।

नोटः टीआरपी की टीम स्मार्ट सिटी सर्जरी के नाम से आपके समक्ष कई योजनाओं की हकीकत इसी तरह अलग-अलग भागों में लेकर आ रही है। इन योजनाओं के संबंध में जानने के लिए हमसे आगे भी जुड़े रहें और इसकी अगली कड़ी भी जरूर पढ़ें।
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