रायपुर। राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान पर आज 24 वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगता का परंपरागत ढंग से सादगीपूर्ण शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों और खिलाड़ियों ने सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की और उनके आत्मा की शांति की कामना करते हुए श्रद्धांजलि भी दी।


इस खेल प्रतियोगिता में वनवासी कल्याण आश्रम के कार्य क्षेत्र अनुसार 33 प्रान्तों के 800 से अधिक जनजातीय बालक बालिकाएं भाग ले रहे हैं। प्रतियोगिता में अंडमान निकोबार से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों, उड़ीसा, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड उत्तर प्रदेश आदि राज्यों सहित नेपाल देश के भी जनजातीय खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं।
तीरंदाजी और फुटबाल की हो रही हैं स्पर्धाएं
इस प्रतियोगिता में फुटबॉल और तीरंदाजी की स्पर्धाएं हो रही हैं। फुटबॉल के मैच कोटा स्टेडियम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी खेल मैदान पर हो रही हैं, वहीं तीरंदाजी की प्रतियोगिता, राज्य तीरंदाजी एकेडमी मैदान पर हो रही है।
प्रतियोगिता के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और वनमंत्री तथा स्वागत समिति के अध्यक्ष केदार कश्यप ने भी अपनी शुभकामनाएं दी है। प्रदेश सचिव डॉ अनुराग जैन ने दोनों के शुभकामना संदेशों का वाचन किया। शुभारंभ समारोह में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अतुल जोग , राष्ट्रीय महामंत्री योगेश बापट, छत्तीसगढ़ प्रांत के अध्यक्ष उमेश कच्छप और संगठन मंत्री रामनाथ कश्यप भी उपस्थित रहे।

‘खिलाड़ियों की प्रतिभा विश्व स्तर पर स्थापित करने का प्रयास’
प्रतियोगिता में उपस्थित खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन करते हुए अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने कहा कि यह खेल आयोजन जनजातीय खिलाड़ियों की प्रतिभा को विश्व स्तर पर स्थापित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। उन्होंने खेल से होने वाले फायदों को बताते हुए कहा कि खेल नियमों से खेले जाते है और खिलाड़ियों को अनुशासित तथा शिष्टाचारी नागरिक तैयार करने में मदद करते हैं। खेल के माध्यम से हम देश के आदर्श नागरिक बन कर राष्ट्र विकास में अपना यथोचित योगदान दे सकते है। सिंह ने 24 वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा स्पर्धा की शुरुआत की घोषणा की और खिलाड़ियों को खेल भावना से खेलने के लिए शपथ भी दिलाई ।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सतेंद्र सिंह ने इस अवसर पर वनवासी खेल महोत्सव की शुरुआत की यादें भी ताजा की और आज की पीढ़ी को इस जनजातीय खेल प्रतियोगता की शुरुआत की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1952 में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना के 33 वर्ष बाद पूना में स्व अशोक साठे के प्रयास से खेल प्रकल्प की शुरुआत हुई थी। उन्होंने बताया कि मुंबई में 20 नवयुवकों के साथ 7 से 9 अगस्त 1987 में खेल केन्द्र शुरू हुआ और 1991 में मुंबई में ही पहली वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगता आयोजित हुई जिसमें उड़न सिख मिल्खा सिंह भी शामिल हुए थे। पहले आयोजन में 15 राज्यों के 392 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, तब से अब तक 23 राष्ट्रीय वनवासी खेल स्पर्धाएं हो चुकी है और इस बार 24 वीं प्रतियोगता हो रही है उन्होंने यह भी बताया कि सभी प्रतियोगिताओं में जनजातीय समाज की पहचान कहे जाने वाला तीरंदाजी खेल शामिल रहा है, इसके साथ कोई अन्य खेल कबड्डी, खो खो , फुटबॉल आदि को शामिल किया जाता रहा है।
आज के मैच और परिणाम
राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगिता में आज फुटबॉल का उदघाटन मैच उड़ीसा और आंध्रप्रदेश की टीमों के बीच हुआ। इस मैच में उड़ीसा की टीम 4-0 से विजयी हुई। उड़ीसा के खिलाड़ी बादल ने खेल के चौथे मिनट में पहला गोल दागा। उड़ीसा की ओर से बादल ने दो और चंदना तथा भुजू ने एक एक गोल किया। आंध्र प्रदेश की टीम कोई गोल नहीं कर सकी।