0 आपराधिक कृत्यों के लिए कार्यवाही की मांग की सामाजिक कार्यकर्ता ने

रायपुर। दो साल इंतजार करने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैंड अथॉरिटी को अब जाकर नवा रायपुर स्थित सेंध और झांज जलाशय की जांच रिपोर्ट मिल पाई है। दरअसल मई 2023 में वेटलैंड अथॉरिटी ने रायपुर शहर के सभी तालाबों जैसे कर्बला तालाब, बूढ़ा तालाब, तेलीबांधा तालाब, महाराज बंद तालाबों एवं अन्य तालाबों में आद्र भूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) रूल्स 2017 के उल्लंघन की जांच कर वस्तुस्थिति से वेटलैंड प्राधिकरण को अवगत कराने के आदेश कलेक्टर रायपुर को दिए थे। कलेक्टर रायपुर ने जुलाई 2023 में डीएफओ रायपुर की अध्यक्षता में जांच दल गठित किया, परन्तु रायपुर के सभी तालाबों की जांच कराने की बजाय सिर्फ सेंध, झांझ और कर्बला तालाब के जांच के आदेश दिए।

जांच रिपोर्ट किसी और को भेज दी

तीनों तालाबों की जांच रिपोर्ट 2023 में ही आ गई, मगर जांच रिपोर्ट वेटलैंड अथॉरिटी को भेजने की बजाय कलेक्टर ने जून 2024 में मुख्य कार्यपालन अधिकारी नया रायपुर विकास प्राधिकरण और आयुक्त नगर पालिक निगम रायपुर को जांच रिपोर्ट भेज कर इतिश्री कर ली। वेटलैंड अथॉरिटी दो साल से स्मरण कराते रही पर अब उच्च स्तर से दबाव पड़ने लगा तो कलेक्टर कार्यालय ने सिर्फ सेंध और झांझ जलाशय की जांच रिपोर्ट वेटलैंड प्राधिकरण को मई 2025 में भेजी। करबला तालाब की जांच रिपोर्ट अभी भी नहीं भेजी है। पता चला है कि जांच दल द्वारा मना करने के बावजूद सेंध जलाशय में 15.34 करोड़ के कार्य 2024 में कराये गए। यह खुलासा रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राकेश गुप्ता ने किया है।

क्या है झांझ जलाशय की जांच रिपोर्ट में?

जुलाई 2023 में जांच में पाया गया कि वहां पर 13.69 करोड रुपए का पाथवे निर्माण, रिटेनिंग वॉल, वृक्षारोपण जल निकासी हेतु हूयूम पाईप पुलिया इत्यादि का निर्माण कार्य कराया जा रहा था और 20% कार्य हो चुका था। जांच दल ने सभी कार्य रोक दिए। जांच दल ने पाया कि झांझ जलाशय में पाथवे निर्माण कार्य प्रगति पर है जिसके परिणाम स्वरूप जलाशय के जल धारण क्षमता एवं जल क्षेत्रफल में कमी होगी, जिससे जल प्रभावित क्षेत्र में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही जलाशय पर आश्रित जीव जंतुओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे नियमों का उल्लंघन होगा।

जांच समिति ने कई सुझाव दिए जिसमें में एक रिजॉर्ट से निकासी होने वाले जल की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा जिससे जलाशय के जल गुणवत्ता में नकारात्मक प्रभाव ना हो। जलाशय के दक्षिण और पूर्वी क्षेत्र में निर्मित भवनों से जल एवं अपशिष्ट पदार्थ निकासी की व्यवस्था पर विशेष निगरानी रखने को कहा।

सेंध जलाशय में निर्माण कार्य रोका था जांच दाल ने

जुलाई 2023 में जांच दल ने पाया कि वहां पर 41.79 करोड के पाथवे निर्माण, रिटेनिंग वॉल, शॉप, पार्किंग शेड इत्यादि का निर्माण कार्य कराया जाना है। सोंदर्यीकरण का 40% कार्य हो चुका है जिसे जांच दल ने रोक दिया। जांच समिति ने पाया कि कार्यों के होने से आद्रभूमि का क्षेत्र गैर आद्रभूमि में परिवर्तित हो जाएगा। कराये जा रहे कुछ कार्य सेंध जलाशय हेतु अधिग्रधित जल क्षेत्र का हिस्सा है। निर्माण कार्यों से जलाशय के जल धारण क्षमता में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जिससे नियमों का उल्लंघन होगा। प्रस्तावित कार्यों के क्रियान्वयन से जल आवक स्रोतों पर भविष्य में अवरोध उत्पन्न होने की संभावना है। साथ ही एक अस्पताल के सामने जल आवक एवं जल जावक स्रोत की स्थिति संतोषजनक नहीं पाया गया जिससे जलाशय में अति प्रवाह होने वाले जल निकासी एवं जल आवक में अवरोध होगा।

मना करने के बावजूद भी कराए गए करोड़ों के कार्य

डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि जांच दल द्वारा जुलाई 2023 में सभी कार्य रोक देने के बावजूद मार्च 2024 में 15.34 करोड़ का कार्यादेश नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने जारी कर सेंध जलाशय में सोंदर्यीकरण और अन्य कार्य पूर्ण कराये, जो कि अपराधिक कृत्य है। उन्होंने मांग की है कि चूंकि आद्र्भूमि के नियम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित किये गए है इस लिए दोषियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कराया जाए, जिसमे पांच साल की सजा का प्रावधान है।

बाकी तालाब क्या मरने के लिए छोड़ दिए..?

डॉ. गुप्ता ने सवाल उठाया है कि वेटलैंड अथॉरिटी ने रायपुर के सभी तालाबों के जांच के आदेश दिए थे, ये जांच क्यों नहीं कराई जा रही? तालाबों में रिटेनिंग वाल बना कर सोंदर्यीकरण के नाम से तालाबों को मार रहे हैं। उन्होंने कहा कि संबंधितों को बताना चाहिए कि करबला तालाब की जांच रिपोर्ट क्यो दबा रखी है?