दुर्ग। जिले के ग्राम कोनारी स्थित अवैध गुटखा फैक्ट्री में खाद्य विभाग की आधी-अधूरी कार्रवाई और अधिकारी की संदिग्ध भूमिका निकल कर सामने आ रही है। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने 10 दिनों में तीन बार कार्रवाई की और हर बार लापरवाही ही हाथ आई। कार्रवाई में खास तौर पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी ऋचा शर्मा पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं, जिनके नेतृत्व में दो बार की गई जांच में गुटखा निर्माण का कच्चा माल सामने आने के बावजूद केवल सुपारी जब्त की गई।
4 और 6 जून की कार्रवाई में क्यों छुपाई गई हकीकत ?
4 जून को खाद्य सुरक्षा अधिकारी ऋचा शर्मा की टीम ने फैक्ट्री में दबिश दी जहां गुटखा निर्माण में उपयोगी सामान (मेन्थॉल, एसेंस, रैपर, इलायची, सुपारी काटने की मशीनें) स्पष्ट रूप से पाई गईं लेकिन उस दिन न कोई सामान जब्त किया गया और न ही फैक्ट्री को सील किया गया।
6 जून को मीडिया और जनप्रतिनिधियों के दबाव पर विभागीय अधिकारियों ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ सुपारी की 1297 बोरियां (64850 किग्रा) जब्त की, जिसकी कीमत 1.54 करोड़ बताई जा रही है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि बाकी का सामान क्यों नजरअंदाज किया गया?
मीडिया को रोका गया, सबूत मिटाने की थी साजिश ?
4 जून को कार्रवाई के दौरान जब मीडिया मौके पर पहुंची तो फैक्ट्री में प्रवेश से एक घंटे तक रोक दिया गया। बाद में जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप पर मीडिया को अंदर जाने की अनुमति दी गई। जिसके बाद फैक्ट्री में गुटखा सामग्री की मौजूदगी उजागर हुई।
तीसरी कार्रवाई में रायपुर से पहुंची थी टीम
खाद्य सुरक्षा अधिकारी ऋचा शर्मा की लीपापोती भरी कार्रवाई के बाद 12 जून को रायपुर से सहायक आयुक्त मोहित बेहरा के नेतृत्व में एक टीम दुर्ग आई। टीम ने फैक्ट्री में फिर से छापेमार कार्रवाई में मौके से सुपारी, मेन्थॉल और रैपर जब्त कर सख्त जांच करने का आश्वासन दिया।
खाद्य विभाग ने मानी लापरवाही, अधिकारी को थमाया नोटिस
खाद्य एवं औषधि प्रशासन रायपुर द्वारा जारी आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जांच में लापरवाही हुई है और खाद्य सुरक्षा अधिकारी ऋचा शर्मा को नोटिस जारी किया गया है। विभाग ने भौतिक सत्यापन कर यह भी पाया कि उनकी लापरवाही से पूरा मामला गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है।
आपराधिक इतिहास के बावजूद फैक्ट्री संचालक को मिली छूट !
फैक्ट्री संचालक जुमनानी पहले भी नशीली दवाओं की तस्करी के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। इसके बावजूद उसका कारोबार लागतार जारी था, इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अपराधी कारोबारियों को भी विभाग की ओर से अप्रत्यक्ष संरक्षण प्राप्त है।
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की मांग
ग्राम कोनारी के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने मामले में स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है और दोषी पाए जाने पर अधिकारियों पर आपराधिक मामला दर्ज करने की बात कही है। उनका कहना है कि इस मामले में शासन की चुप्पी अपराधियों को खुला संरक्षण देने की ओर इशारा माना जाएगा।