नई दिल्ली। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिसमे उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने कहा है कि उमर की हिरासत उनकी अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन है। यह सरकार की तरफ से अपने विरोधियों की आवाज दबाने की कोशिश की गई है।

जम्मू कश्मीर के नेता उमर अब्दुल्ला के खिलाफ 6 फरवरी को पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने डॉजियर में लिखा कि उमर अब्दुल्ला का जनता पर खासा प्रभाव है, वे किसी भी कारण के लिए जनता की ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुलिस ने कहा कि महबूबा ने राष्ट्रविरोधी बयान दिए और वे अलगववादियों की समर्थक हैं।
उमर पर लगे आरोप के कोई सबूत नहीं हैं :
सारा ने याचिका में कहा है कि सरकार की नीतियों से असहमति लोकतंत्र में एक नागरिक का अधिकार है, उन्होंने कहा कि उमर के खिलाफ आरोपों पर कोई भी सबूत नहीं मौजूद हैं। न ही सोशल मीडिया पोस्ट और न ही किसी और तरह के। इसके बजाय हिरासत से पहले उमर के कई ऐसे ट्वीट्स और सार्वजनिक बयान हैं जिनमें उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी।
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