रायपुर। मरवाही विधानसभा उपचुनाव (Marwahi Assembly By-election) के ठीक पहले छत्तीसगढ़ में एक बार फिर जाति प्रमाणपत्र मामले में उबाल आया है। वहीं जाति विवाद के बीच राज्य सरकार ने जाति प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समितियों के गठन की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित कर दी है।

24 सितंबर 2020 से लागू मानी जाएगी अधिसूचना

मरवाही चुनाव (Marwahi By-election) जब सिर पर हैं ऐसे में 13 अक्टूबर को प्रकाशित हुई यह अधिसूचना 24 सितंबर 2020 से लागू मानी जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि दिनांक 22 अगस्त 2013 द्वारा जाति प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समितियों का गठन किया गया था। राज्य शासन द्वारा उक्त परिपत्र को अधिष्ठित करते हुए छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के जाति प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए जिला स्तरीय प्रमाणपत्र सत्यापन समिति का गठन किया जाता है।

Marwahi Assembly By-election की मंशा से हुआ बदलाव

छत्तीसगढ़ में जाति प्रमाणपत्र ( Caste certificate ) संबंधी विवाद के कई मामले काफी समय से लंबित हैं। मगर इन मामलों में जोगी परिवार का जाति विवाद सबसे अधिक चर्चा में रहा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी (Chhattisgarh Former CM Ajit Jogi), उनके पुत्र अमित जोगी और अब अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी ( Richa jogi Disputed caste certificate case ) का विवादित जाति प्रमाणपत्र चर्चा में है। आपको बता दें कि जाति प्रमाणपत्र मामले में सरकार ने 24 सितंबर को एक अधिसूचना जारी कर बदलाव किया है।

अमित जोगी हो सकते हैं मरवाही से जकांछ के उम्मीदवार

सियासी पंडित इस बदलाव को मरवाही विधानसभा चुनाव (Marwahi By-Poll) से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल इस चुनाव में अमित जोगी (Amit Jogi) मरवाही से जकांछ के स्वाभाविक उम्मीदवार माने जा रहे हैं। इसी बीच उनकी पत्नी ऋचा जोगी (Richa Jogi) के एसटी होने का जाति प्रमाणपत्र जारी हुआ है और इसे लेकर विवाद और भी गहरा गया है। जोगी परिवार जाति प्रमाणपत्र के मामले में सरकार व स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगा रहा है। इस मामले में अपने वैधानिक कानूनी उपयोग के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए जोगी परिवार हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट जा रहा है। इस पूरे मामले को लेकर चल रही खींचतान के पीछे मरवाही चुनाव को बड़ी वजह माना जा रहा है।

ऐसी होगी जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति

समिति में कलेक्टर द्वारा नामांकित जिला मुख्यालय में पदस्थ अपर कलेक्टर अथवा डिप्टी कलेक्टर समिति के अध्यक्ष होंगे। कलेक्टर द्वारा नामांकित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के जिला मुख्यालय में पदस्थ एक-एक द्वित्तीय श्रेणी अधिकारी इसके सदस्य होंगे। जातियों के संबंध में जानकारी रखने वाला एक विशेष अधिकारी सदस्य होगा। इस पद पर सेवानिवृत्त अधिकारी को भी नामांकित किया जा सकता है। संबंधित जिले के अजाक थाने में पदस्थ उप पुलिस अधीक्षक सदस्य होंगे। इनके अलावा सहायक आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग समिति में सदस्य सचिव होंगे। बताया गया है कि जाति संबंधी मामले में पहले राज्यपाल द्वारा गठित समिति जाति की छानबीन करती थी। अब जिला कलेक्टर द्वारा गठित समिति जाति की छानबीन कर सकेगी।

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