टीआरपी डेस्क। किसान आंदोलन के दौरान सोशल मीडिया पर टूल किट अपलोड कर दंगा भड़काने की साजिश का खुलासा होने के बाद इन दिनों UAPA कानून पर इंटरनेट पर यूजर्स की सर्चों की बाढ़ आ गई है। आइए जानते हैं क्या है UAPA कानून, इसे कब और किस पर लगाया जाता है।

यूएपीए का मतलब यहां गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम को कहते हैं. इसे अंग्रेजी में Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) कहा जाता है, इस कानून का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना है।

क्या है UAPA
इसके तहत सरकार ऐसे लोगों को आतंकवादियों के तौर पर चिन्हित कर सकती है, जो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं, आतंकवादी घटना के लिए किसी को तैयार करते हैं या इसे बढ़ावा देते हैं। इसमें NIA महानिदेशक को यह अधिकार है कि वह किसी मामले की जांच के दौरान संबंधित शख्स की संपत्ति को जब्त या कुर्क कर सकता है।
आपको बता दें कि पिछले साल अगस्त में ही इसका संसोधन बिल संसद में पास हुआ था, इस कानून से सरकार को यह ताकत मिल गई है कि वो किसी व्यक्ति को जाँच के आधार पर आतंकवादी घोषित कर सकती है। इसके कुछ क्लॉज पर विपक्षी पार्टियों को आपत्ति थी, जिसपर गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब में कहा था कि सरकार की प्राथमिकता आतंकवाद को जड़ से मिटाना है।
UAPA में धारा 18, 19, 20, 38 और 39 के तहत केस दर्ज होता है, धारा 38 तब लगती है जब आरोपी के आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात पता चलती है,धारा 39 आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने पर लगाई जाती है।
UAPA के 97.8 फीसदी मामलों में तय ही नहीं हो पाए आरोप
UAPA और राजद्रोह यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के सबसे ज़्यादा मामले सिर्फ़ साल 2016 से लेकर साल 2019 के बीच दर्ज किए गए हैं। इनमें अकेले ‘यूएपीए’ के तहत 5,922 मामले दर्ज किए गए हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी ‘एनसीआरबी’ की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान इनमें से कुल 132 लोगों के ख़िलाफ़ ही आरोप तय हो पाए हैं।
2019 में ही यूएपीए के तहत पूरे देश में 1,948 मामले दर्ज किए गए हैं। आंकड़े बताते हैं कि इस साल अभियोजन पक्ष किसी पर भी आरोप साबित करने में असफल रहा जिसकी वजह से 64 लोगों को अदालत ने दोषमुक्त करार दिया।
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