टीआरपी डेस्क। कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच ‘ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ (DCGI) ने ‘2-डिऑक्सी-D-ग्लूकोज’ (2-DG) दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। इस दवा का इस्तेमाल एक सहायक थेरेपी के तौर पर किया जाएगा यानी मध्यम से हल्के कोविड-19 मामलों के इलाज के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाएगा।

DCGI has granted permission for emergency use of therapeutic application of drug 2-deoxy-D-glucose (2-DG) as adjunct therapy in moderate to severe COVID-19 patients. Being a generic molecule & analogue of glucose, it can be easily produced & made available in plenty: DRDO pic.twitter.com/2TJA4S1cAV
— ANI (@ANI) May 8, 2021
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। DRDO ने एक बयान में कहा, एक जेनेरिक मॉलिक्यूल और ग्लूकोज का एनालॉग होने की वजह से इसे आसानी से तैयार किया जा सकता है। साथ ही इसे बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराया जा सकता है।
एक सहायक थेरेपी वो वैकल्पिक ट्रीटमेंट होता है, जो प्राथमिक ट्रीटमेंट के साथ किया जाता है। इसका मकसद प्राथमिक उपचार यानी कि मरीज के चल रहे इलाज में मदद करना होता है। DRDO के बयान में कहा गया कि इस दवा को DRDO लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज और डॉ रेड्डी लैबोरेट्रीज के सहयोग से तैयार किया गया है।
मरीजों को जल्दी स्वस्थ करने में मददगार यह दवा
क्लिनिकल नतीजों से पता चला है कि इस दवा के मॉलिक्यूल अस्पताल में भर्ती मरीजों को तेजी से ठीक होने में मदद करते हैं। इसके अलावा, मरीज को सिलेंडर के जरिए दी जानी वाली ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करते हैं।
DRDO के मुताबिक, जिन मरीजों का 2-DG के साथ इलाज किया गया, उनमें सिम्पटोमैटिक केयर विभिन्न बिंदुओं पर स्टैंडर्ड ऑफ केयर (SoC) की तुलना में ज्यादा रहा। इसने कहा कि ये दवा एक पाउडर के तौर पर आती है, जिसे पानी में घोलकर लिया जा सकता है।
DRDO ने कहा कि दवा लेने के बाद ये वायरस से संक्रमित सेल्स में जमा हो जाता है और वायरल सिंथेसिस और ऊर्जा उत्पादन को रोकने का काम करता है। इससे वायरस की बढ़ने की रफ्तार कम हो जाती है।
SARS-CoV-2 वायरस पर भी तेजी से करती है काम
अप्रैल 2020 में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान INMAS-DRDO वैज्ञानिकों ने ‘सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी’ (CCMB) हैदराबाद की मदद से 2-DG को लेकर लेबोरैटरी प्रयोग किए। उन्होंने पाया कि ये मॉलिक्यूल SARS-CoV-2 वायरस पर तेजी के साथ प्रभावी रूप से काम करता है और उसके विकास को रोकता है।
इन नतीजों के आधार पर DCGI ने मई 2020 में कोरोना मरीजों पर 2-DG के दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी दी। मई से लेकर अक्टूबर 2020 तक दूसरे चरण के ट्रायल किए गए, जिसमें ये दवा मरीजों को वायरस से ठीक करने में सुरक्षित पाई गई।