टीआरपी डेस्क। कोरोना वायरस का प्रकोप दुनिया के करोड़ों लोगों का जीवन प्रभावित कर रहा है। जिस तरह के रहन-सहन के वह आदी थे। उसमें भी बदलाव आ रहा है। हालांकि तारीख़ के पन्ने महामारियों के इतिहास बदलने की मिसालों से भरे पड़े हैं। बीमारियों की वजह से सल्तनतें तबाह हो गईं। साम्राज्यवाद का विस्तार भी हुआ और इसका दायरा भी सिमटा गया। यहां तक कि दुनिया के मौसम में भी इन बीमारियों के कारण उतार-चढ़ाव आते देखा गया।
ब्लैक डेथ ने बदला यूरोप का इतिहास
- चौदहवीं सदी के पांचवें और छठें दशक में प्लेग की महामारी ने यूरोप में मौत का दिल दहलाने वाला तांडव किया था। इस महामारी के क़हर से यूरोप की एक तिहाई आबादी काल के गाल में समा गई थी।
- ब्लैक डेथ यानी ब्यूबोनिक प्लेग से इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत के कारण, खेतों में काम करने के लिए उपलब्ध लोगों की संख्या बहुत कम हो गई। इसी मजबूरी ने उन्हें ऐसी तकनीक में निवेश करने के लिए बाध्य किया, जिसमें ख़र्च कम लगे।
- -वह नई दुनिया की तलाश में कहीं भी जाने से को तैयार थे। जब यूरोप के लोग अन्य इलाक़ों में गए तो उन्होंने उपनिवेशवाद भी शुरू कर दिया। विदेशों में जिस पैमाने पर उन्होंने अपने उपनिवेश बनाए और वहां से जो कमाई की उसके बूते ही पश्चिम यूरोपीय देश दुनिया में ताक़तवर बनकर उभरे।
अमरीका में चेचक से मौत
- यूरोपीय देशों ने पंद्रहवीं सदी के अंत तक अमेरिकी महाद्वीपों में उपनिवेशवाद का प्रसार करते हुए अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था। उन्होंने अपने साम्राज्य विस्तार के चक्कर में यूरोपीय ताक़तों ने यहां इतने लोगों को मारा कि इससे दुनिया की आब-ओ-हवा बदल गई।
- एक अध्ययन में पाया कि यूरोप के विस्तार के बाद अमेरिका की क़रीब छह करोड़ की आबादी केवल एक सदी में घट कर महज़ साठ लाख रह गई। अमरीका में यूरोपीय उपनिवेश स्थापित होने के बाद इन इलाक़ों में होने वाली अधिकतर मौतों के लिए वह बीमारियां ज़िम्मेदार थीं। जो यह उपनिवेशवादी अपने साथ लेकर अमरीका पहुंचे थे।
बड़े पैमाने पर जान का भी नुक़सान हुआ और इसका नतीजा सारी दुनिया को भुगतना पड़ा।
येलो फ़ीवर और हैती की बग़ावत
- 1801 में कैरेबियाई देश हैती में यूरोप की औपनिवेशिक ताक़तों के ख़िलाफ़ यहां के बहुत से ग़ुलामों ने बग़ावत कर दी थी। कई बग़ावतों के बाद आख़िरकार तुसैंत लोवरतूर का हैती का शासक बना। उधर, नेपोलियन ने पूरे हैती द्वीप पर अपना क़ब्ज़ा जमाने के लिहाज़ा से दसियों हज़ार सैनिकों को वहां लड़ने के लिए भेज दिया। लेकिन पीत ज्वर या येलो फ़ीवर के प्रकोप से यह सैनिक ख़ुद को नहीं बचा सके।
- हैती पर क़ब्ज़े के नाकाम अभियान के दो साल बाद ही फ़्रांस के लीडर ने 21 लाख मिलियन वर्ग किलोमीटर इलाक़े वाले कैरेबियाई द्वीप को अमरीका की नई सरकार सरकार को बेच दी। इसे लुईसियाना पर्चेज़ के नाम से भी जाना जाता है। जिसके बाद नए देश अमरीका का इलाक़ा बढ़ कर दोगुना हो गया।
अफ़्रीक़ा के जानवरों में फैली महामारी
- 1888 और 1897 के दरमियान राइंडरपेस्ट नाम के वायरस ने अफ़्रीक़ा में लगभग 90 फ़ीसद पालतू जानवरों को ख़त्म कर दिया था। इसे जानवरों में होने वाला प्लेग भी कहा जाता है। इतने बड़े पैमाने पर जानवरों की मौत से हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका, पश्चिमी अफ्रीका और दक्षिणी-पश्चिमी अफ्रीका में रहने वाले बहुत से समुदायों पर क़यामत सी आ गई।
- अफ़्रीक़ा के ऐसे बदतर हालात ने उन्नीसवीं सदी के आख़िर में यूरोपीय देशों के लिए अफ्रीका के एक बड़े हिस्से पर अपने उपनिवेश स्थापित करने का माहौल तैयार कर दिया। हालांकि, यूरोपीय देशों ने अफ्रीका में अपना साम्राज्य स्थापित करने की योजना राइंडरपेस्ट वायरस का प्रकोप शुरू होने से कई साल पहले ही बना ली थी।
- 1884 से 1885 के बीच जर्मनी की राजधानी बर्लिन में यूरोपीय देशों का एक सम्मेलन चला। जिसमें यूरोप के 14 देश ने अफ़्रीक़ा में अपने-अपने उपनिवेश स्थापित करने को लेकर सौदेबाज़ी की थी। इसके बाद वर्ष 1900 तक अफ्रीका के 90 फ़ीसद हिस्से पर औपनिवेशिक ताक़तों का नियंत्रण हो गया था। यूरोपीय देशों को अफ्रीका की ज़मीनें हड़पने में राइंडरपेस्ट वायरस के प्रकोप से भी काफ़ी मदद मिली।
चीन में प्लेग प्रकोप के साथ मिंग राजवंश का पतन
- वर्ष 1641 में उत्तरी चीन में प्लेग जैसी महामारी ने हमला बोला। जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई। कुछ इलाक़ो में तो प्लेग की वजह से 20 से 40 फ़ीसद तक आबादी ख़त्म हो गई थी। चीन में यह संकट, मलेरिया और प्लेग जैसी बीमारियां एक साथ फैलने की वजह से पैदा हुआ था। यह भी हो सकता है कि चीन में ये बीमारियां उत्तर से आने वाले आक्रमणकारियों के साथ यहां आई हों
- वैसे तो चीन के मिंग राजवंश के ख़ात्मे के लिए सूखा और भ्रष्टाचार जैसे कारक भी ज़िम्मेदार थे। लेकिन भयानक बीमारियों और महामारियों के प्रकोप ने भी इसके ख़ात्मे में अहम रोल निभाया। चीन में मिंग राजवंश ने लगभग तीन सदी तक राज किया। अपने पूरे शासन काल में इस राजवंश ने पूर्वी एशिया के एक बड़े इलाक़े पर अपना ज़बरदस्त सियासी और सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ा था लेकिन प्लेग की वजह से इतने ताक़तवर राजवंश का अंत बहुत विनाशकारी रहा।
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