रायपुर। छत्तीसगढ़ में सूरजपुर के कलेक्टर रहे रणबीर शर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है। वायरल वीडियो में वह युवक को थप्पड़ जड़ने के बाद पुलिस से पिटवा रहे हैं। इससे पहले इन पर भालू को पुलिस से गोली मरवाने के आरोप लगे हैं। अभी सूरजपुर जिले में कलेक्टर के रूप में कार्य करते 1 वर्ष भी नहीं हुआ कि कलेक्टर साहब ने दवाइयां लेने जा रहे युवक को थप्पड़ जड़ दिया। इस रवैये के बाद भूपेश सरकार ने सूरजपुर कलेक्टर को हटा कर वापस मंत्रालय बुला लिया गया है।

वीडियो सामने आने के बाद से ही कलेक्टर रणबीर शर्मा की किरकिरी हो रही थी। उसके बाद उन्होंने पूरे घटनाक्रम के लिए खेद प्रकट किया है। आईएएस रणबीर शर्मा ने कहा है कि मैंने तनाव में ऐसा कर दिया क्योंकि मां-पिता इन दिनों कोरोना से संक्रमित हैं, जिसके कारण वह काफी परेशान हैं। मगर आईएएस शर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है। उनके ऊपर रिश्वत लेने से लेकर भालू को गोली मरवाने तक के आरोप हैं।
कौन हैं आईएएस रणबीर शर्मा
रणबीर शर्मा 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वर्तमान में सूरजपुर के कलेक्टर थे। थप्पड़ कांड के बाद सरकार ने उन्हें कुर्सी से हटा दिया है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में वह एसडीएम भी रहे हैं। इस दौरान भी उनके ऊपर कई आरोप लगे। इसके बावजूद सरकार ने कलेक्टर जैसे महत्वपूर्ण पद पर रणबीर शर्मा की तैनाती की।
रिश्वत लेने के आरोप लगे
साल 2015 में आईएएस रणबीर शर्मा 10 हजार रुपये की रिश्वत लेने का आरोप भी लग चुका है। कांकेर के भानुप्रतापपुर में रणबीर शर्मा एसडीएम के पद पर पदस्थ थे। उस वक्त यह प्रशिक्षु आईएएस के रूप में कार्य कर रहे थे। रणबीर शर्मा के ऊपर पटवारी ने रिश्वत लेने का आरोप लगाया था, जिसके बाद इन्हें तत्काल प्रभाव से पद से हटाते हुए मंत्रालय में सचिव पद पर बैठा दिया गया था।
वहीं, रिश्वत कांड में उस वक्त कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया था। उल्टे कांग्रेस की सरकार आने के बाद 28 मई 2020 में इनको सूरजपुर कलेक्टर के रूप में बड़ी जिम्मेदारी मिल गई।
भालू को गोली मरवाने के लगे आरोप
रिश्वत कांड से पहले रणबीर शर्मा पर 2014 में एक भालू पर गोली चलवाने का मामला भी दर्ज हुआ था। एक जनवरी 2014 को मरवाही तहसीलदार और गौरेला एसडीएम का चार्ज रहने के दौरान उन्होंने पुलिस को एक भालू पर गोली चलाने के लिए मजबूर कर दिया था। भालू को 11 गोलियां मारी गई थीं। तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने मामले की जांच के आदेश भी दिए थे।
वाइल्ड एनिमल प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत टाइगर, पैंथर, भालू की जान लेने पर सात साल तक की सजा का प्रावधान है। इन जानवरों के आदमखोर होने की दशा में भी PCCF वाइल्ड लाइफ की अनुमति के बिना जान नहीं ली जा सकती। गोली मारने के पहले निर्देश हैं कि पहले वन्य प्राणी को जाल में फंसाकर या बेहोश करने वाली गन का इस्तेमाल कर काबू में करने का प्रयास किया जाए। पेण्ड्रा में ऐसा प्रयास करने का सोचा भी नहीं गया। तब वन विभाग के प्रमुख PCCF रामप्रकाश ने कहा था कि रिपोर्ट में यदि यह प्रमाणित हो गया कि भालू को जीवित पकड़ना संभव था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
The IAS Association strongly condemns the behaviour of Collector Surajpur, Chhattisgarh.
It is unacceptable & against the basic tenets of the service & civility.
Civil servants must have empathy & provide a healing touch to society at all times, more so in these difficult times.— IAS Association (@IASassociation) May 23, 2021
अब उनके खिलाफ IAS एसोसिएशन का भी गुस्सा फूटा है। अफसरों के इस संगठन की तरफ से सोशल मीडिया में एक पोस्ट के जरिए रणबीर शर्मा की हरकत की निंदा की गई है। एसोसिएशन की तरफ से लिखा गया है कि मुश्किल के इस दौर में एक IAS का व्यवहार जनता के प्रति बेहद जिम्मेदार होना चाहिए। इससे पहले CM भूपेश बघेल के निर्देश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने 2012 बैच के अफसर रणबीर शर्मा का स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया। उन्हें सूरजपुर कलेक्टर पद से हटाकर मंत्रालय में बुला लिया गया है। उन्हें यहां बिना विभाग के संयुक्त सचिव बनाया गया है।