टीआरपी डेस्क। बारिश का मौसम शुरू हो गया है। इस बीच राज्य शासन ने निर्देश जारी किया है। जिसके तहत जो जलाशयों में मत्स्याखेट के शौकीन हैं या फिर मछली पालन का धंधा करते हैं। उन्हें दो महीने इस पर विराम और जलाशयों या तालाब में जाल डालने की मनाही रहेगी। यह प्रतिबंध 16 जून से लागू हो जाएगा जो 15 अगस्त तक रहेगा। इस दौरान यदि मछली मारने के लिए जाल डाला तो एक साल की सजा भुगतनी पड़ेगी। साथ ही 10 हजार स्र्पये का जुर्माना भी भरना पड़ेगा।

16 जून से 15 अगस्त तक बंद ऋतु घोषित
गौरतलब है कि वर्षा ऋतु मछलियों के प्रजननकाल का समय होता है। प्रजनन के साथ ही वंश वृद्धि होती है। प्रजननकाल में मत्स्याखेट से वंश वृद्धि प्रभावित होती है। लिहाजा दो महीने उनको जलाशयों व तालाबों सहित नदियों में स्वतंत्र विचरण की छूट रहेगी। संरक्षण देने के लिए राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ नदी मत्स्योद्योग अधिनियम-1972 की धारा-3 उपधारा-2 के तहत 16 जून से 15 अगस्त तक की अवधि को बंद ऋतु (क्लोज सीजन) के रूप में घोषित किया है।
1 वर्ष के कारावास के साथ 10 हजार का जुर्माना
छत्तीसगढ़ प्रदेश के समस्त नदियों-नालों तथा छोटी नदियों, सहायक नदियों में जिन पर सिंचाई के तालाब जलाशय (बड़े या छोटे) जो निर्मित किये गये हैं। उनमें केज कल्चर के अतिरिक्त सभी प्रकार के मत्सयाखेट को 15 अगस्त तक प्रतिबंधित कर दिया गया है। निर्देशों के साथ ही यह भी चेतावनी दी है कि नियमों का उल्लंघन करने पर छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य क्षेत्र (संशोधित) अधिनियम के नियम-3 (5) के अंतर्गत अपराध सिद्ध होने पर एक वर्ष का कारावास अथवा 10 हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों साथ-साथ भुगतना पड़ेगा।
बारिश के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पटवारी द्वारा सीमांकन पर रोक रहेगी। राज्य शासन के निर्देशों के अनुसार आमतौर पर बारिश की शुरुआत के साथ ही किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुट जाते हैं। खेतों में फसल की तैयारी शुरू हो जाती है। लिहाजा चार महीने सीमांकन पर रोक रहेगी। इस दौरान पटवारी अपना जरीब कार्यालय में ही रखेंगे।
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