टीआरपी डेस्क। ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) ने देश की किसानी में महिलाओं की भागीदारी और उत्पादकता बढ़ाने के लिए व्यवस्थित निवेश करके महिला किसान सशक्तीकरण योजना (MKSP) को लागू किया गया है। बात पिछले साल की करें तो महिला किसान सशक्तीकरण योजना के तहत, देश में 24 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 84 परियोजनाओं के माध्यम से 36.06 लाख महिला किसानों को लाभ हुआ है।

मंज़ूर परियोजनाओं के कार्यान्वयन की दिशा में केंद्र की ओर से कुल 847.5 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया। बात करें छत्तीसगढ़ की तो यहाँ भी ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जिन्होंने अपनी जिद से इस क्षेत्र में सम्मान प्राप्त किया है। एक नजर ऐसी ही कहानियों पर –

कबीरधाम की जिस बेटी आदिती को पीएम मोदी ने किया सम्मानित, वह ऐसे उगाती हैं धान

कबीरधाम जिले की बेटी ने पूरे देश में छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) का नाम रोशन किया है। जिले की प्रगतिशील किसान आदिती कश्यप (aditi kashyap) को हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी (pm modi give award in karnatka) ने कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा है। आदिती की इस सफलता के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी उन्हें बधाई दी है।

आदिति कश्यप (aditi kashyap) को यह पुरस्कार धान के अधिकतम उत्पादन के लिए मिला है। आदिती ने श्री विधि से धान का अधिकतम उत्पादन लिया है। वह कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी, पशुपालन और मछलीपालन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं।

गुरुवार को कर्नाटक के तुमकुरु में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी pm modi give award in (karnatka) ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य को भी यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने प्रधानमंत्री मोदी के हाथों अवार्ड ग्रहण किया। कार्यक्रम में धमतरी के किसान विरेन्द्र कुमार साहू को भी पुरस्कृत किया गया था।

पालीगुढ़ा की निवासी हैं आदिती: किसान आदिति कश्यप मूलतः कबीरधाम (kabirdham daugher krishi karman award) जिले के कवर्धा विकासखंड के पालीगुढ़ा की रहने वाली हैं। वर्ष 2016-17 में सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन श्रेणी 2 के अंतर्गत धान के अधिकतम उत्पादन के लिए उन्हें प्रधानमंत्री ने यह पुरस्कार प्रदान किया।

जिले के किसानों को दो बार मिल चुका पुरस्कार: छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) को खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दो बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। वहीं कबीरधाम जिले के खाते में भी दो बार ये पुरस्कार आए हैं। वर्ष 2014 में प्रभात चंद्राकर, ग्राम भरेवापुरन, पंडरिया को भी कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।


सूरजपुर की महिला किसानों ने अपनाया आधुनिक खेती

कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी के लिए आधुनिक जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाया जा रहा है। इससे जैविक पद्वति को बढावा मिलने के साथ महिला किसानों के कृषि कार्यों पर होने वाले व्यय को कम किया जा सकेगा। इससे पानी की कमी वाले क्षेत्रों और सबसे गरीब तबके के लोगों को भी सिंचाई-आधारित कृषि को अपनाने में सहूलियत मिलेगी।

इस पद्धति से आने वाली पीढ़ियों के लिये संसाधनों के आधार को खतरे में डाले बिना मौजूदा पीढ़ी की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। खेती-किसानी के कामकाज का संवर्धन और गांवों तक जानकारी देने के लिए “बिहान” योजना के तहत सूरजपुर और भैयाथान विकासखण्ड के प्रत्येक गांव से 1 कृषि मित्र और 1 पशु सखी का चयन किया गया है।

इन कृषि मित्रों और पशु सखियों को बीजोपचार करने के विभिन्न तरीकों का प्रशिक्षण भी दिया गया है, जिससे उन्नत किस्म के बीज तैयार कर अधिक से अधिक धान की पैदावार ली जा सके। इसके साथ ही जैविक खेती में रासायनिक खाद, कीटनाशकों के स्थान पर स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर जीवामृत, घन जीवामृत, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र जैसे जैविक खाद व कीटनाशक दवाईयों को बनाने की विधि भी सिखाई गई है।

ये महिलाएं अपने-अपने गांव में जाकर 100-100 महिला किसानो को जैविक कृषि पद्धति के महत्व और प्रयोग की जानकारी देंगी। इन कृषि मित्रों और पशु सखियों को संवहनीय कृषि और जैविक पद्धति की अवधारणा समझाने के साथ मचान के माध्यम से भी खेती किये जाने की विधि का भी जीवंत प्रदर्शन दिखाया गया है।


जांजगीर चांपा : गांव की बहू कृषि यंत्र चलाकर बनी लेडी किसान, ले रही अच्छी फसल

आज तक आपने लेडी दरोगा, लेडी डॉक्टर, लेडी टीचर तो देखा पर कोई ऐसी लेडी किसान नहीं देखा जो गांव की बहू होने के साथ ही साथ खुद ही खेती किसानी करती है। खुद ट्रैक्टर सहित अन्य कृषि यंत्र चलाती है और गांव के पुरुष किसानों से बेहतर पैदावार ले रही है। इस लेडी किसान की चर्चा अब पूरे जिले व उसके बाहर भी हो रही है।

हरबाई नाम की यह महिला किसान २२ एकड़ जमीन को लीज में लेकर दो दर्जन किस्म के सुगंधित धान की खेती कर रही है। इस कार्य को देखते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 15 फरवरी 2019 को आयोजित होने वाले संभाग स्तरीय रेडियो किसान दिवस पर बाई को सम्मानित किया जाएगा।

बम्हनीडीह ब्लाक के ग्राम हथनेवरा की रहने वाली हर बाई कंवर। ट्रैक्टर से खेतों को जोतने के साथ ही रोपाई, स्प्रेयर से दवाई छिड़काव, बीजों की बुआई तथा हार्वेस्टिंग जैसे खेती के सभी प्रकार के कामों को स्वयं करती हैं। हर बाई का मानना है कि कृषि के क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कम नहीं है। इसके लिए वह कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण भी ले चुकी हैं। वह अपने कार्य से क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा बनी हुई है। ग्रेजुएट कर चुकी महिला किसान हर बाई ने बताया कि सक्ती ब्लॉक अंतर्गत ग्राम नवापारा में उनका जन्म गरीब परिवार में हुआ।

पढ़ाई के बाद खेती किसानी के काम में करने लगी मां बाप की मदद

बीए की पढ़ाई करने के बाद हर वर्ग नौकरी के पीछे भागता है, लेकिन वह मां बाप के साथ खेती किसानी के काम में मदद करने लगी। 15 मई 2003 को हथनेवरा के किसान चंद्रकांत कंवर से उनकी शादी होने के बाद पति, सास, ससुर के साथ नौकरी में रुचि रखने के बजाय खेती किसानी के काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुबह सात बजते ही वह चूल्हा चौका करने की जगह ट्रैक्टर लेकर खेतों की ओर निकल पड़ती हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी वरिष्ठ वैज्ञानिक केडी महंत ने बताया कि प्रदेश में यह पहला जिला है जहां महिला कृषक हर बाई कंवर की लगन को देखते हुए उसकी 15 सदस्यीय टीम उनका भरपूर सहयोग कर रही है। हर बाई ने सोंठी के पास स्थित पुरूषोत्तम शर्मा की 22 एकड़ जमीन को लीज पर लिया और उसमें दो दर्जन से अधिक सुगन्धित धान की जैविक खेती करा रहीं हैं। इसके लिए इंदिरा गांधी विश्व विद्यालय रायपुर द्वारा सुगन्धित धान का बीज उपलब्ध कराया गया है।


केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार आकाशवाणी बिलासपुर द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र के गोद ग्राम बहेराडीह में 15 फरवरी को आयोजित होने वाले संभाग स्तरीय रेडियो किसान दिवस पर जिले की प्रगतिशील महिला कृषक हर बाई कंवर को विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही बहेराडीह गांव में अगस्त माह में कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र व इंदिरा गांधी कृषि विस्व विद्यालय रायपुर के कुलपति के मार्गदर्शन में आयोजित राज्य स्तरीय मशरूम महोत्सव में भी उन्हें सम्मानित किया जाएगा।

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