पिछले साल का करोड़ों का धान सड़ रहा है खरीदी केन्द्रों में : बृजमोहन
पिछले साल का करोड़ों का धान सड़ रहा है खरीदी केन्द्रों में : बृजमोहन

रायपुर। भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आरोप लगाया है। प्रदेश के धान खरीदी केन्द्रों में पिछले साल का 4 लाख 17 हजार टन धान बचा हुआ है जो खराब हो रहा है। इससे प्रदेश की जनता को करोड़ों का नुकसान हुआ है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कमीशनखोरी के चलते राज्य सरकार सही समय पर कस्टम मिलिंग नहीं कर पा रही है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल महासमुंद के दौरे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जो भी काम हो रहा है वह केंद्र सरकार के पैसे से हो रहा है केंद्र सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए दिए तब जाकर छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी शुरू हुई है।

इसलिए धान खरीदी का कोटा किया कम…

केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ से धान का उठाव कम किए जाने के सवाल पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पिछले साल केंद्र सरकार ने 28 लाख टन चावल लेने की बात कही थी। लेकिन छत्तीसगढ़ से केवल 25 लाख टन चावल ही दिया गया इसके चलते इस वर्ष धान का कोटा कम कर दिया गया है।

केंद्रों में सड़ रहे धान का जिम्मेदार कौन?

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश भर के धान खरीदी केंद्रों में पिछले साल का 4 लाख 17 हजार टन धान बचा हुआ है और सड़ रहा है। इससे यहां की जनता के 13 सौ करोड़ रुपयों का नुकसान हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा ?

धान की मिलिंग में ही रही कमीशनखोरी

पिछले साल धान की कस्टम मीलिंग की धीमी गति के पीछे बृजमोहन अग्रवाल ने कमीशनखोरी को वजह बताया। उन्होंने आरोप लगाया की अधिकारी मिलर्स से 8 रुपए क्विंटल नहीं तो मिलींग के लिए धान नहीं देने का दबाव बना रहे थे। यही वजह है कि पिछले साल मार्च के महीने तक 25 प्रतिशत धान की भी कस्टम मिलिंग नहीं हो सकी थी ।

कोटा नहीं बढ़ा तो चावल की होगी नीलामी : अमरजीत

प्रदेश के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने स्वीकार किया कि पिछले वर्ष का 24 लाख मीट्रिक टन धान अभी भी बचा हुआ है। उन्होंने कहा कि नेशनल पॉलिसी के चलते ऐसा होता है, पॉलिसी में अगर थोड़ा बहुत बदलाव किया जाता है तो शेष धान का भी निपटारा हो जाएगा। उन्होंने इस वर्ष की जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार लगभग 24 लाख टन चावल ले रही है, चावल का कोटा अगर नहीं बढ़ाया गया तो शेष बचे चावल की सरकार द्वारा नीलामी सरकार द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि पहली बार इस तरह की नीलामी होगी।

गरीब कल्याण योजना के चलते बढ़ाया था कोटा

खाद्य मंत्री ने आरोप लगाया कि पिछली बार केंद्र सरकार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के लिए चावल की जरूरत थी, इसलिए कोटा बढ़ा दिया गया था, मगर इस बार कोटा बढ़ाने से इंकार कर दिया गया है, जबकि इस वर्ष छत्तीसगढ़ में रिकॉर्ड धान की खरीदी हुई है।

गौरतलब है कि भूपेश सरकार किसानों से 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर पर धान की खरीदी कर रही है, इस वजह से सरकार के अरबों रुपए धान की खरीदी में लग गएहैं। केंद्र ने अगर चावल नहीं लिया तो इससे सरकार को काफी नुकसान होने की आशंका जा रही है। सरकार अगर चावल की नीलामी भी करती है तो धान खरीदी का खर्चा भी नहीं निकल पाएगा और सरकार को नुकसान उठाकर अपना चावल बेचना पड़ जाएगा।

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