ACB के खिलाफ आम नागरिक का खत जनहित याचिका के रूप में हुआ स्वीकार... हाईकोर्ट ने मांगा शासन से जवाब
ACB के खिलाफ आम नागरिक का खत जनहित याचिका के रूप में हुआ स्वीकार... हाईकोर्ट ने मांगा शासन से जवाब

रायपुर। एक आम नागरिक द्वारा भेजे गए पत्र को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया है। इस शख्स ने लिखा है कि प्रदेश के 90 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ ACB में भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति की शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं ACB के अफसर लाखों रूपये लेकर केस खात्मे में डाल रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से जवाब माँगा है।

बैरन बाजार, जी ई रोड, रायपुर निवासी किसी गुलाम अली खान की ओर से एक पत्र हाईकोर्ट बिलासपुर को लिखा गया है, जिसमे उल्लेखित शिकायतों को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। इसमें प्रमुख रूप से जो बातें लिखी हैं उनमें शिकायतों को संज्ञान में नहीं लिए जाने, 10 लाख रूपये लेकर केस ख़त्म किये जाने, पिछले 03 साल से ACB की कार्रवाई बंद होने, किसी भी केस में चालान पेश नहीं करने, ट्रैप करने का अधिकार मुख्यालय के अधिकारियों के पास होने का उल्लेख है।

शिकायतकर्ता की ये हैं मांगें…

हाईकोर्ट को लिखे पत्र में शिकायतकर्ता ने मांग की है कि ACB और EOW के डायरेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाकर नए जिम्मेदार अफसरों की पोस्टिंग की जाये। लंबित प्रकरणों की जांच करवाने के साथ ही ट्रैप करने का अधिकार क्षेत्रीय प्रभारियों को सौंपने, रिश्वत लेकर प्राथमिकी प्रकरण बंद करने की परंपरा पर रोक लगते हुए सीधे एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की।

इस शिकायत के सन्दर्भ में TRP न्यूज़ ने समाज के कुछ जानकार लोगों से चर्चा की। अधिकांश का कहना है ACB और EOW के खिलाफ इस तरह की शिकायत आम हो गई है। ACB में प्रकरण दर्ज होने के बाद भी सालों तक कोर्ट में चालान पेश नहीं होता और शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है।

जांच में देरी से केस होता है कमजोर : बीकेएस रे

छत्तीसगढ़ शासन में प्रमुख पदों पर रहते सेवानिवृत्त हुए आईएएस बी के एस रे का कहना है कि छत्तीसगढ़ में ACB और EOW पर लगाए गए आरोप सही हैं। दोनों यूनिट का काम बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। अगर कोई केस सालों-साल लम्बा खिंचता है तो उससे केस कमजोर हो जाता है। अगर संबंधित शिकायत सही है सरकार को कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

कोर्ट की पहल सराहनीय : अवस्थी

जाने माने पत्रकार रूद्र अवस्थी ने इस मामले में एक पत्र को कोर्ट द्वारा संज्ञान में लिए जाने और जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किये जाने की सराहना की है। उन्होंने कहा कि ACB और EOW का ढीलाढाला रवैया साफ़ दिखाई देता है। कोर्ट अगर शिकायतों की गंभीरता से लेकर कार्यवाही करती है। तो आम अवाम का भरोसा बढ़ेगा और दूसरे लोग भी पुख्ता शिकायतें लेकर आगे आएंगे।

ठोस शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं : मनजीत कौर बल

सामाजिक कार्यकर्ता मनजीत कौर बल ने कोर्ट से की गई शिकायत को सही ठहराते हुए कहा कि वे खुद बीते कई सालों से शिकायत कर रहीं हैं। मगर आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने बताया कि जिला पंचायत दुर्ग में परियोजना अधिकारी के पद पर पदस्थ एक व्यक्ति ने सन 2008-09 को कुरुद में जनपद CEO रहते हुए अयोग्य लोगो की शिक्षा कर्मी के पद पर भर्ती की। बाद में सारे लोग बर्खास्त कर दिए गए और संबंधित जनपद CEO के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। पुलिस के रिकॉर्ड में यह शख्स आज भी फरार है, जबकि वह जिला पंचायत दुर्ग में परियोजना अधिकारी के रूप में पदस्थ है। इतना ही नहीं फरारी की अवधि में वह प्रमोशन भी पा चुका है। मंजीत बल बताती हैं कि तमाम दस्तावेजों के साथ वे हर वर्ष इसकी शिकायत ACB और CID में कर रहीं हैं मगर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है।

अधिकांश मामलों का हो जाता है खात्मा

छत्तीसगढ़ विधानसभा में हर वर्ष ACB और EOW में लंबित मामलों की जानकारी पूछी जाती है। इनके जवाब पर अगर नजर डालें तो बड़ी संख्या में मामलों का खात्मा हो चुका होता है। वहीं कई मामले वर्षों से लंबित नजर आते हैं। हद तो यह है कि अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान की गई अनेक कार्रवाई का आज तक निराकरण नहीं हो सका है।

बहरहाल एक शिकायत पत्र को संज्ञान में लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से वर्तमान स्टेटस माँगा है। एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के लिए कहा है।

ACB प्रकरणों और कार्रवाई के संबंध किसी भी प्रकार की जानकारी देने से बच रहा है। TRP संवाददाता ने कार्यालय पहुंचकर जब इस मामले के संबंध में अधिकारियों से चर्चा की तो सभी एक दूसरे पर टालते रहे। कुछ अधिकारी तो अपने कक्ष से ही नदारद रहे।

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