बड़ी खबरः भारत में डबल के बाद अब कोरोना के ट्रिपल म्यूटेशन वाले वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता! जानें कहां मिला नया वेरिएंट
बड़ी खबरः भारत में डबल के बाद अब कोरोना के ट्रिपल म्यूटेशन वाले वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता! जानें कहां मिला नया वेरिएंट

मुंबई। देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के लगातार फैलाव के साथ वायरस में बदलाव के मामले भी सामने आ रहे हैं। अब महाराष्ट्र में कोविड नोवल वायसर में ‘डबल म्यूटेट’ की पुष्टि होने से चिकित्सकों की परेशानी और बढ़ गई है।

ऐसे में एक जीनोम अनुक्रमण विशेषज्ञ ने दावा किया है कि इस साल जनवरी और मार्च के बीच कोविड-19 के लिए किए गए कुल 361 नमूनों में से 61 प्रतिशत में दोहरे उत्परिवर्तन (डबल म्यूटेशन) का पता चला है। उन्होंने साथ ही इस महामारी से सबसे प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में अधिकारियों द्वारा अपनाए जा रहे नमूना संग्रह के तरीकों पर भी संदेह जताया।

हालांकि, जीनोम अनुक्रमण और कोशिका विज्ञान के क्षेत्रों में विशेषज्ञों ने देखा है कि इस तरह के नमूनों की छोटी संख्या को म्यूटेंट वायरस के प्रसार के संकेत के रूप में नहीं माना जा सकता है। इन 361 नमूनों की जांच महाराष्ट्र में जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालाओं में की गई।

एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ जीनोम अनुक्रमण विशेषज्ञ ने कहा कि मुझे बताया गया है कि पुणे में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान द्वारा 361 कोरोना नमूनों की जांच की गई, जिसमें 61 प्रतिशत में डबल म्यूटेशन था। हालांकि, यह नमूना आकार बहुत छोटा है, क्योंकि महाराष्ट्र में प्रति दिन लगभग दो लाख परीक्षण किए गए हैं। नमूनों की इतनी छोटी संख्या को ऐसे संकेत के रूप में नहीं लेना चाहिए कि डबल म्यूटेशन व्यापक स्तर पर है।

बता दें कि पिछले कुछ सप्ताह में महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मंगलवार तक महाराष्ट्र में महामारी के मामलों की संख्या 35,19,208 थी जबकि मृतकों की संख्या 58,526 थी। महाराष्ट्र में मंगलवार को उपचाराधीन मरीजों की संख्या 5,93,042 थी।

बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने ने कहा कि हम अभी भी नहीं जानते हैं कि भेजे गए नमूनों में कोरोना वायरस के डबल म्यूटेशन शामिल हैं या यह पहले वाला वेरिएंट है। यदि जीनोम अनुक्रमण नमूनों में डबल म्यूटेशन वायरस (तकनीकी रूप से बी.1.617 के रूप में जाना जाता है) की मौजूदगी की पहचान करता है तो हम संशोधित दिशा-निर्देश जारी कर सकते हैं ताकि इसके प्रसार को कम किया जा सके क्योंकि यह अधिक संक्रामक है।

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