पेयजल से निकल रहा है फ्लोराइड, स्वच्छ पेयजल को तरस रहे हैं प्रभावित इलाकों के ग्रामीण, अनेक बीमारियों से जूझ रहे हैं लोग
पेयजल से निकल रहा है फ्लोराइड, स्वच्छ पेयजल को तरस रहे हैं प्रभावित इलाकों के ग्रामीण, अनेक बीमारियों से जूझ रहे हैं लोग

टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ के 17 जिलों के 574 गांव फ्लोराइड युक्त पानी से प्रभावित है। ऐसे अधिकांश इलाकों में फ्लोराइड रिमूवल यूनिट तो लगाए गए हैं लेकिन देखरेख के अभाव में ज्यादातर यूनिट खराब चल रहे हैं। ऐसे में लोग फ्लोराइड से प्रभावित हो रहे हैं और कम उम्र में ही बुढ़ापे की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

फ्लोराइड युक्त पानी पीने से फ्लोरोसिस नामक बीमारी होती है जिससे दांतो का पीलापन, हड्डियों का क्षरण आदि कई समस्याएं पैदा होने लगती हैं, लोगों को इससे निजात दिलाने के लिए अधिकांश स्थानों पर या तो फ्लोराइड उगलने वाले हैंडपंप को बंद कर दिया या फिर उनके स्थान पर फ्लोराइड रिमूवल यूनिट लगा दिए गए हैं।

सिस्टम लगाकर भूल गए अधिकारी

पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा से निजात दिलाने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों ने संबंधित इलाकों में फ्लोराइड रिमूवल यूनिट लगाएं हैं। अब यह काम नहीं कर रहे हैं ऐसे ही गांव में शामिल है रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के ग्राम पंचायत सराय टोला का ग्राम मुड़ागांव, जहां फ्लोराइड रिमूवल सिस्टम एवं पानी की टंकी बनाई गई मगर जो सिस्टम लगाए गए हैं वह खराब हो चुके हैं। पानी टंकी में फ्लोराइड मुक्त पानी नहीं जा रहा है साथ ही मुड़ागांव से सराई टोला तक जो पाईप लाईन बिछाई गई थी वह भी जगह जगह खराब हो गई है। जिसके चलते लोगों को फ्लोराइड मुक्त पानी नहीं मिल पा रहा है। सामग्री की गुणवत्ता बेहतर नहीं होने के कारण कुछ ही वर्षों में फ्लोराइड यूनिट सिस्टम खराब हो गए। जिसके कारण सरायरोला एवं मुड़ा गांव के ग्रामीणों को फ्लोराइड मुक्त पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।

रायगढ़ जिले के 4 गांव फ्लोराइड से प्रभावित

बहुत ज्यादा मात्रा में निकल रहा है फ्लोराइड रायगढ़ जिले के तमनार इलाके में 4 गांव फ्लोराइड से प्रभावित हैं। इनमें मुड़ागांव के अलावा सरई टोला, पाता और झिराड़िपा गांव है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के हाइड्रोजियोलॉजिस्ट ए के बिस्वाल ने बताया कि सामान्य तौर पर 1 लीटर पानी में अधिकतम 1.5 मिलीग्राम फ्लोराइड की मात्रा हो सकती है मगर रायगढ़ जिले के प्रभावित इलाकों में प्रति लीटर पानी में 25 से 30 मिलीग्राम फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है जो बहुत ही खतरनाक है। बिस्वाल बताते हैं कि फ्लोराइड युक्त पानी हड्डियों के लिए एक तरह का धीमा जहर है, इससे हड्डियों का क्षरण होता है, लोगों को चलने में तकलीफ होती है, वहीं कई लोग तो अंधेपन का शिकार हो जाते हैं।

यूनिट के रखरखाव की जिम्मेदारी यूजर समूह की : कोसरिया

छत्तीसगढ़ के फ्लोराइड प्रभावित गावों के संबंध में हमने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पी प्रमुख अभियंता टीजी कोसरिया से बात की उन्होंने बताया कि अधिकांश इलाकों में फ्लोराइड रिमूवल यूनिट लगाए गए हैं मगर उनके रखरखाव की जिम्मेदारी पेयजल का इस्तेमाल करने वालों की है। ऐसे यूनिट की नियमित तौर पर सफाई करनी होती है। हर सुबह इसे खोल कर साफ करना होता है अगर ऐसा किया जाए तो यह यूनिट 5 से 6 साल तक चल सकता है। कोसरिया ने यह भी कहा कि राज्य के फ्लोराइड से प्रभावित इलाकों की एक बार फिर समीक्षा कराई जाएगी और चरणबद्ध ढंग से फ्लोराइड रिमूवल यूनिट लगाए जाएंगे।

प्रतिष्ठान नहीं निभा रहे हैं अपनी जिम्मेदारी

रायगढ़ जिले के जिस इलाके में लोग फ्लोराइड से प्रभावित हैं वहां और उसके आसपास अनेक कोयला खदान और पावर प्लांट संचालित हैं। ऐसा लगता है कि प्लांट में संचालकों को यहां के लोगों से कोई सरोकार नहीं है। इनके माध्यम से गांव में फ्लोराइड यूनिट का बड़ा प्लांट लगाया जा सकता है, मगर न तो कारखाना प्रबंधकों ने ऐसा किया और ना ही प्रशासन ने इसके लिए कोई प्रयास किया है।
आपको बता दें कि रायपुर जिले के धरसीवा ब्लॉक में भी लोग फ्लोराइड युक्त पानी से प्रभावित हैं। प्रदेश के 17 जिलों के 574 गांव फ्लोराइड युक्त पानी से बुरी तरह प्रभावित है। सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है, अन्यथा गरियाबंद के सुपेबेड़ा जैसे इलाके के लोग जिस तरह दूषित पेयजल से आए दिन मर रहे हैं वैसा ही हाल दूसरे इलाकों का न हो जाए।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर…