उद्यानिकी विभाग का सब्सिडी घोटालाः ठगे जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के किसान, हेरा-फेरी छुपाने रविवार को भी होता है काम... फर्जी बिल के सहारे अफसरों ने दिया करोड़ों के घोटाले को अंजाम...
उद्यानिकी विभाग का सब्सिडी घोटालाः ठगे जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के किसान, हेरा-फेरी छुपाने रविवार को भी होता है काम... फर्जी बिल के सहारे अफसरों ने दिया करोड़ों के घोटाले को अंजाम...

रायपुर। किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार छत्तीसगढ़ तमाम तरह की योजनाएं ला रही है। मगर इनका लाभ किसानों को नहीं सरकारी विभाग के अफसरों को हो रहा है। सरकरारी अधिकारी ठेकेदारों से मिलकर किसानों को लाभ दिलाने की एवज में खुद की जेबें भर रहे हैं।

ताजा मामला महासमुंद में पॉलीहाउस निर्माण का है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में सरकार किसानों को उद्यानिकी फसलों को बेहतर बनाने के लिए उन्हें ग्रीन हाउस और पॉलीहाउस बनाकर दे रही है। मगर वहीं विभाग के अफसर ठेकेदारों के साथ मिलकर पॉलीहाउस की जगह ग्रीन हाउस बना रहे हैं और इसके एवज में मिलने वाली सब्सिडी की रकम उनके जेब में जा रही है। इतना ही नहीं विभाग के कर्मचारी इस घोटाले के लिए रविवार को भी काम करते हैं। टीआरपी के पास इस घोटाले के पूरे दस्तावेज हैं। जो उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की पोल खोलती है।

फर्जी बिल के जरिए लाखों की रकम अफसरों की जेब में

इतना ही नहीं मामले की शिकायत के बाद विभाग के अधिकारी पद पर रहते हुए जांच को प्रभावित कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि शिकायत के 4 माह गुजर जाने के बाद भी अब तक मामले की जांच नहीं हो सकी है। बता दें कि महासमुंद के 20 से ज्यादा किसानों के खेत में ग्रीन हाउस का निर्माण किया गया। जिस कंपनी को पॉलीहाउस बनाने का काम दिया गया था उसकी जगह किसी दूसरी कंपनी ने काम किया। बिल दूसी कंपनी के नाम पास कर दिया गया।

विभाग से मिले दस्तावेजों के मुताबिक 70 फिसदी अनुदान के तहत किसानों के नाम से 2 करोड़ 53 लाख 3 जार 760 रुपए की अनुदान राशि का गोलमाल किया गया है। दस्तावेजों पर पॉलीहाउस दिखा कर किसानों के लिए ग्रीनहाउस का निर्माण कर दिया गया। शासन द्वारा इसके लिए 2 लाख रुपए का अनुदान दिया जाता है।

भौतिक सत्यापन प्रमाण पत्र ही है अधूरा

किसानों के लिए बनाए गए ग्रीनहाउस का भौतिक सत्यापन भी विभाग के अधिकारी द्वारा किया गया। मगर हैरत की बात यह है कि यह प्रमाणपत्र ही अधूरा है। जिसमें ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी के हस्ताक्षर भी है। साथ ही वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी ने भी इस दस्तावेज को सत्यापित किया है।

हेरा-फेरी छुपाने रविवार को भी होता है काम

आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों में हैरत की बात यह है कि सत्यापन प्रमाण पत्र में ओवर राइटिंग भी है। जिसमें तिथियों की हेरफेर है, पहले इसमें रविवार 7 जून 2020 की तिथि दर्ज की गई। बाद में इसे सुधारते हुए 7 जुलाई 2020 कर दिया गया। इतना ही नहीं कुछ दस्तावेजों में अनुदान की राशि से भी छेड़-छाड़ की गई है। विभाग से प्राप्त कागजों पर विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के हस्ताक्षर व नाम भी दर्ज हैं।

किसानों को मिलती है 14 लाख की सब्सिडी

बता दें कि पॉलीहाउस के निर्माण में सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी दी जाती है। उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 19 लाख के पाली हाउस के निर्माण में 14 लाख की सब्सिडी दी जाती है। वहीं, ग्रीन हाउस का निर्माण में ढाई लाख की सब्सिडी दी जाती है। विभाग द्वारा 20 किसानों को पॉली हाउस की जगह ग्रीन हाउस बनाकर दिया गया है। इस तरह 2 करोड़ 53 हजार रुपए से ज्यादा की राशि विभाग के अफसर और ठेकेदारों की जेब में गई है।

वर्जन

महासमुंद जिले में पॉलीहाउस निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत आई है। शुरूआती जांच में कुछ गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। मगर अब तक जांच पूरी नहीं हुई है। जांच के बाद ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई की जाएगी।
माथेश्वरन, डायरेक्टर, उद्यानिकी विभाग

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