छत्तीसगढ़ के किसानों से फिश फार्मिंग के नाम पर हुई 5 करोड़ से भी ज्यादा की धोखा
छत्तीसगढ़ के किसानों से फिश फार्मिंग के नाम पर हुई 5 करोड़ से भी ज्यादा की धोखा

रायपुर। देशभर में कॉन्ट्रैक्ट फिश फार्मिंग के नाम पर कंपनियों ने जाल फैला लिया है। ऐसी कंपनियां किसानों को पहले लाखों का फायदा गिनाती हैं। जब किसान निवेश कर देते हैं तो रकम नहीं देती।

ऐसी ही एक कंपनी ने छत्तीसगढ़ में अपने एजेंटों के माध्यम से किसानों से लाखों रुपए का निवेश कराया। अब कंपनी पैसे देने के नाम पर किसानों को घुमा रही है। यह मामला फॉर्च्यून फिश कंपनी से जुड़ा हुआ है। यह कंपनी हरियाणा के गुरुग्राम से संचालित है। इस कंपनी ने छत्तीसगढ़ सहित मध्य प्रदेश, उड़ीसा और कई अन्य राज्यों में अपना कारोबार फैलाया है।

किसान आय बढ़ोतरी योजना के नाम पर कर रहे हैं ठगी

फॉर्च्यून फिश कंपनी ने “किसान आय बढ़ोतरी योजना ” के नाम पर किसानों को झांसा दिया और अपने एजेंटों के माध्यम से ऐसी योजना बताई जिसमें किसानों ने हाथों-हाथ पैसा लगा दिया। फिश कंपनी ने किसानों को यह ऑफर दिया कि वह अपनी आधी एकड़ जमीन, साढ़े पांच लाख रुपए नगद के साथ दें, तो कंपनी हर महीने उन्हें 50 हजार रुपए देगी और साल भर में यह पैसा दोगुना हो जाएगा। कंपनी ने यह तर्क दिया कि वह किसानों की जमीन पर तालाब खोदकर उसमें मछलियां पालेगी और चौगुनी कमाई करेगी। शुरुआत में जिन किसानों ने पैसे लगाए उनकी जमीन पर कंपनी ने तालाब बनवाया। चारों तरफ से नेट लगाकर तालाब में मछलियां भी डाली। अपने खर्चे पर चौकीदार रखा और मछलियों के दाने भी खुद ही दिए। ऐसे किसानों के तालाब और हर महीने रुपए मिलता देखकर ज्यादा लाभ कमाने की लालच में एक के बाद एक किसानों द्वारा पैसे देने की होड़ लग गई।

100 से अधिक किसान धोखाधड़ी के हुए शिकार

प्रदेश भर के कई जिलों में किसानों ने एक दूसरे की देखा देखी पैसे लगाए। फिश फॉर्चून कंपनी में किसी ने साढ़े पांच लाख, किसी ने 11 लाख तो किसी ने 22 लाख रुपए लगा दिए और अपनी जमीन भी दी, किसी का तालाब खुदा तो किसी के तालाब में मछली भी डली, लेकिन बीते अक्टूबर के महीने से लोगों के पैसे आने बंद हो गए। कंपनी के लोग आश्वासन देते रहे कि पैसे आएंगे, जरूर आएंगे। बहानेबाजी का दौर चलता रहा मगर अब तक पैसे नहीं आए हैं।

शेयर ट्रेडिंग में नुकसान का हवाला दे रही है कंपनी

फिश फॉर्चून कंपनी के एमडी विजेंद्र कश्यप से जब किसानों ने संपर्क किया, तब उनकी एक बैठक भिलाई में आयोजित कराई गई, जिसमें कंपनी के एमडी भी आए, उन्होंने सभी के पैसे सुरक्षित होने का आश्वासन दिया और यह बताया कि उन्होंने जिस कंपनी में शेयर लगाया था, वह कंपनी नुकसान में रही, और इस वजह से उनका पैसा डूब गया, ऐसे में वह पैसे अभी फिलहाल नहीं दे पा रहे हैं। एमडी ने आश्वस्त किया कि जल्द ही वे सबके पैसे लौटा देंगे और नियमित रूप से पैसे मिलने लगेंगे, मगर आज तक किसानों के पैसे नहीं आए।

सबसे ज्यादा किसान बालोद जिले से

कॉन्ट्रैक्ट फिश फार्मिंग के नाम पर धोखा देने वाली कंपनी के शिकार सबसे ज्यादा किसान बालोद जिले के हैं, जहां बड़ी संख्या में लोगों ने अपना पैसा लगा दिया और आज उनके पास तालाब के सिवा कुछ भी नहीं है। कंपनी में पैसा लगाने वाले देवेश चंद्राकर ने बताया कि उसने तो लगभग 22 लाख रुपए लगाए हैं, चूंकि उसने शुरू में रुपए का निवेश किया था, इसलिए उसकी काफी रकम वापस आ चुकी है, मगर बड़ी संख्या में किसान आज भी कंपनी की राह तक रहे हैं। भोपाल के रहने वाले मनोज त्रिपाठी ने भी 22 लाख रुपए लगाए थे, उन्हें देखकर दूसरों ने भी अपनी गाढ़ी पसीने की कमाई लगा दी। छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में सौ किसानों ने रुपए लगाए तो सोचिए मध्यप्रदेश में कितने किसान कंपनी के झांसे में आए होंगे।

पोस्ट डेटेड चेक दे रखा है कंपनी ने

किसानों को अपने भरोसे में लेने के लिए कंपनी ने उन्हें पोस्ट डेटेड चेक दे रखा है। किसानों ने बताया कि कंपनी बार-बार कह रही है कि उनके रुपए लौटा दिए जाएंगे, इसलिए वे बैंक में चेक नहीं लगा रहे हैं।

नहीं पता था नेटवर्किंग कंपनी है..!

कॉन्ट्रैक्ट फिश कंपनी में रुपए लगाने वाले किसानों को बहुत बाद में पता चला कि यह कंपनी नेटवर्किंग से जुड़ी हुई है। जहां एक ओर कंपनी ने कहीं भी अपने आपको नेटवर्किंग के नाम पर नहीं बताया, वहीं दूसरी ओर कंपनी ने पांच-पांच हजार रुपए लगवाकर कई एजेंट रख लिए। ऐसे एजेंट छत्तीसगढ़ के कई जिलों में सक्रिय रहे और सक्षम किसानों को झांसे में लिया। गौरतलब है कि नेटवर्क के मार्केट के नाम पर देश भर में अब तक काफी धोखाधड़ी हो चुकी है। अकेले छत्तीसगढ़ में ही नेटवर्किंग कंपनियों ने करोड़ों का कारोबार किया है। जिनके खिलाफ फिलहाल मुकदमा चल रहा है।

15 मार्च तक समय मांग रही है कंपनी

बालोद के ही सुभाष महतो और मनोज त्रिपाठी बताते हैं कि कंपनी ने उनसे 15 मार्च तक का समय मांगा है। हमने उनसे यह बात लिखकर देने को कहा है। इसके लिए कई किसान 16 मार्च को दिल्ली रवाना हो रहे हैं, जहां कंपनी के एमडी से उनकी मुलक़ात होगी। अगर नियत समय तक भी उनके पैसे नहीं मिले तो मामले में सभी किसानों द्वारा एफआईआर दर्ज कराया जाएगा।

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