टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ में अफसरों की मेहरबानी और कमीशन की चाहत ने सारे नियम-कायदे को दरकिनार कर दिया है। अब दुर्ग जिले में कृषि विभाग और बीज निगम के अफसरों का ताजा कारनामा सामने आया है, जहां अफसरों ने चहेतों और खास को काम देने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया है।

जिंक सल्फेट की सप्लाई में 5 करोड़ का वर्क आर्डर

दुर्ग जिले में अविरल बायोटेक को लाइसेंस की वैधता खत्म होने के बाद भी जिंक सल्फेट की सप्लाई के लिए 5 करोड़ का काम सौंप दिया गया है। इसके लिए बाकायदा वर्कआर्डर भी जारी कर दिया गया है, जबकि नियमतः अविरल बायोटेक के लाइसेंस की वैधता समाप्त हो चुकी है और जानकारी के मुताबिक वर्तमान में भी कंपनी का लाइसेंस रिनीवल नहीं है।

चहेतों और खास को लाभ पहुंचाने का खेल

इस पूरे खेल में चहेतों और खास को काम देने के लिए कृषि विभाग और बीज निगम के अफसरों ने नियमों को दरकिनार कर दिया है। हाल ही में ऐसे ही सत्यम बायोटेक के द्वारा एक्सपायरी डेट की दवा सप्लाई करने के गोरखधंधे का पर्दाफाश हुआ था, जिसके बाद इस मामले में जमकर हंगामा भी हुआ था। इतना ही नहीं यह मामला विधानसभा में भी जमकर गूंजा था। ऐसे ही अब अविरल बायोटेक को लाभ पहुंचाने नए खेल की सुगबुगाहट के साथ ही निज ऑर्गेनिक कनेक्शन की बू आ रही है।

लाइसेंस की वैधता जांचे बिना वर्कआर्डर देना न्यायसंगत नहीं

लाइसेंस अथॉरिटी के प्रमुख अधिकारी आसना ने बताया कि बिना लाइसेंस या लाइसेंस के रिनीवल नहीं होने की स्थिति में बीज निगम के मैनेजर वर्क आर्डर नहीं दे सकते है। लाइसेंस की वैधता जांच किए बिना वर्कआर्डर देना न्यायसंगत नहीं है। लाइसेंस के रिनीवल हुए बिना काम नहीं दिया जा सकता।

पल्ला झाड़ने में लगे अफसर

इधर दुर्ग जिले के उपसंचालक कृषि और बीज निगम के प्रबंधक इस मामले में पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं। इस पूरे मामले में बीज निगम के मैनेजर की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही। अब देखना ये होगा कि अफसरों की मनमानी और कारस्तानी पर कब लगाम लगती है? फर्टिलाइजर एक्ट के उल्लंघन करने पर इन अफसरों पर क्या वैधानिक कार्यवाही की जाती है?

बड़े रैकेट का हो सकता भंडाफोड़

छत्तीसगढ़ में नकली दवाओं और कीटनाशक का बड़ा रैकेट सक्रिय होता जा रहा है। इस पर शिकंजा कसा जाए तो एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हो सकता है। हाल ही में कुछ दिन पहले द रूरल प्रेस ने सत्यम बायोटेक के द्वारा नकली दवाई आपूर्ति के मामले पर से पर्दा उठाया था, जिसके बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी ये मुद्दा जमकर उठाया गया था।

अविरल बायोटेक का भी पक्ष जानने का प्रयास, लेकिन कोई जवाब नहीं

इधर इस पूरे मामले में द रूरल प्रेस की टीम ने अविरल बायोटेक का पक्ष जानने कंपनी की वेबसाइट पर प्रकाशित नंबर पर संपर्क किया, साथ ही मेल के माध्यम से भी उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिल सका है।

संचालक ने भी नहीं उठाया फोन, ना मिला मैसेज का जवाब

वहीँ संचालक, कृषि विभाग नीलेश कुमार क्षीरसागर से भी दूरभाष पर संपर्क के साथ ही मैसेज के माध्यम से पक्ष जानना चाहा गया, लेकिन उन्होंने भी ना फोन उठाया और ना ही मैसेज का जवाब दिया।

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