नई दिल्ली। (corona virus research) शरीर में कोरोना वायरस के घुसने का एक चोर रास्ता खोजा गया है। साइंस जर्नल में प्रकाशित दो वैज्ञानिक अध्ययनों के माध्यम से यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

इंसानी कोशिकाओं में पाया जाने वाला यह प्रोटीन कोरोना वायरस को शरीर में प्रवेश करने का रास्ता देता है। गौरतलब है कि अब तक माना जाता था कि एसीई-2 नाम का प्रोटीन ही कोरोना वायरस को शरीर में घुसने देता है।

दरअसल, कोरोना वायरस का बाहरी हिस्सा नुकीला या स्पाइक वाला है। इन स्पाइक की बाहरी सतह पर एक खास तरह का प्रोटीन है जो इंसान की कोशिकाओं के प्रोटीन एसीई-2 से बंध जाता है। इस तरह कोरोना वायरस उस इंसानी कोशिका के अंदर घुसकर वहां प्रजनन से अपनी संख्या बढ़ाता जाता है। इस तरह वायरस पूरे शरीर पर कब्जा कर लेता है।

नए शोधों में वैज्ञानिकों ने इंसानी कोशिकाओं में मौजूद न्यूरोपिलिन-1 नामक प्रोटीन का पता लगाया है। यह प्रोटीन, एसीई-2 प्रोटीन से पूरी तरह स्वतंत्र है पर यह भी शरीर में कोविड वायरस के ग्राही या रिसेप्टर का काम करता है।

इसके माध्यम से भी कोविड वायरस का स्पाइक इंसानी कोशिका को संक्रमित कर सकता है।अगर एंटीबॉडी के जरिए न्यूरोपिलिन-1 प्रोटीन को ब्लॉक कर दिया जाए तो कोविड-19 का वायरस इंसानी कोशिकाओं को संक्रमित नहीं कर पाएगा।

नए वैज्ञानिक दावे से पहले पहले तक वैज्ञानिक मानते थे कि न्यूरोपिलिन-1 प्रोटीन शरीर में रक्त वाहिकाओं के विकास में मददगार है। किसी को यह संदेह तक नहीं था कि न्यूरोसिलिन-1 प्रोटीन कोरोना वायरस को शरीर के तंत्रिका तंत्र में प्रवेश करने का एक गोपनीय रास्ता दे सकता है।

इंग्लैंड स्थित ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने न्यूरोपिलिन-1 प्रोटीन के जरिए कोरोना वायरस के शरीर में घुसने का लगाया पता

बता दें कि इंग्लैंड स्थित ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने न्यूरोपिलिन-1 प्रोटीन के जरिए कोरोना वायरस के शरीर में घुसने का पता लगाया है। शोध में स्पाइक प्रोटीन का अध्ययन करके पता लगाया कि इंसानी कोशिका में मौजूद न्यूरोपिलिन-1 प्रोटीन के अंश वायरस पर मौजूद थे।

शोधकर्ता जेम्स एल डेली का कहना है कि ऐसा तब ही संभव है जब यह वायरस इस प्रोटीन को संक्रमित करने की क्षमता रखता हो। उन्होंने प्रयोगशाला शोध में पाया कि न्यूरोपिलिन-1 प्रोटीन वाली इंसानी कोशिकाओं को ही कोरोना वायरस संक्रमित कर सका। इस तरह उन्होंने निष्कर्ष निकाला एसीई-2 और न्यूरोपिलिन-1 दो ऐसे प्रोटीन हैं, जिन्हें कोरोना वायरस लगभग बराबरी से संक्रमित कर सकता है

इलाज में बढ़ गई चुनौती

विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक कोरोना मरीज के उपचार में जो तरीका अपनाया जाता है या फिर कोरोना का जो टीका बनाया जा रहा है, उसमें एसीई-2 रिसेप्टर और स्पाइक प्रोटीन को टारगेट किया गया है। इसलिए अब वैज्ञानिकों को न्यूरोपिलिन-1 को लक्षित करके नए उपचार ढूंढने होंगे ताकि मरीज में संक्रमण न फैले।

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