छोटी रेल लाइन के 114 साल पुराने स्टीम इंजन को SECR के बिलासपुर मुख्यालय में किया गया स्थापित, 1907 में इंग्लैंड में बना है यह इंजन
छोटी रेल लाइन के 114 साल पुराने स्टीम इंजन को SECR के बिलासपुर मुख्यालय में किया गया स्थापित, 1907 में इंग्लैंड में बना है यह इंजन

बिलासपुर। रेलवे की विरासत एवं स्वर्णिम इतिहास से लोगों को परिचित कराने तथा कार्यालयों के सौंदर्यीकरण की दिशा में रेलवे प्रशासन द्वारा अनूठा प्रयास किया जा रहा है। इसी कडी में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, मुख्यालय, बिलासपुर परिसर में छोटी लाइन में चलने वाली भाप इंजन को आर्कषक ढंग से सजाकर स्थापित किया गया है ।

इस सुसज्जित एवं आकर्षक स्टीम लोकोमोटिव का अनावरण आज महाप्रबंधक गौतम बनर्जी द्वारा किया गया। इस अवसर पर अपर महाप्रबंधक प्रमोद कुमार, समस्त विभागाध्यक्ष, मण्डल रेल प्रबंधक, बिलासपुर एवं अधिकारी तथा कर्मचारीगण उपस्थित थे ।

जानिए इस इंजन के इतिहास को

114 साल पुराने इस इंजन का निर्माण वर्ष 1907 में नार्थ ब्रिटिश कंपनी ग्लासगो, इंग्लैण्ड के द्वारा किया गया था । इस इंजन की लंबाई 9060 मि.मी. तथा चौड़ाई 2290 मि.मी. है। पुराने बंगाल नागपुर रेलवे में चलने वाली इस लोकोमोटिव का उपयोग मालगाड़ी में चावल की ढुलाई के लिए किया जाता था। इस लोकोमोटिव की अंतिम सेवा वर्ष 1956 में ली गई । इसका मेंटेनेंस स्टीम लोकोशेड आद्रा में किया जाता था एवं वहीं से इसे वर्ष 2009 में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के भिलाई शेड लाया गया, जहां से इसे नवीनीकरण एवं रंगरोगन पश्चात लाकर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, मुख्यालय, बिलासपुर परिसर में प्रतिस्थापित किया गया है ।

ब्रॉडगेज में बदले जा रहे है अधिकांश नैरोगेज लाइन

वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की अधिकांश छोटी लाइन को बड़ी लाइन में परिवर्तित किया जा चुका है और बची हुई छोटी लाइनों का बड़ी लाइन में परिवर्तन जारी है। कुछ साल पहले ही बंद की गई रायपुर-धमतरी छोटी रेल लाइन के स्थान पर धमतरी इलाके में बड़ी रेल लाइन का निर्माण हो रहा है। लोगों को छोटी लाइन की विरासत एवं सुनहरे इतिहास से परिचय कराने तथा पुराने समय में चलन में रही स्टीम इंजनों की यादों को सँजोने के साथ ही रेल कार्यालय परिसर के सौंदर्यीकरण का यह अच्छा प्रयास है। इसके पूर्व भी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, मुख्यालय, बिलासपुर परिसर में भाप से चलने वाली पुरानी क्रेन को साजसज्जा के साथ स्थापित किया गया था, जो कि आज भी इस परिसर की सुंदरता को बढ़ा रहा है।
रेलवे प्रबंधन का मानना है कि इस स्टीम लोकोमोटिव इंजन के स्थापित होने से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, मुख्यालय आने जाने वालों को रेलवे की इस विरासत को आकर्षक रूप में देखने के साथ ही उन्हें रेलवे की इस सुनहरे इतिहास के बारे में जानने का अवसर भी मिलेगा।

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