प्रदेश के किसानों के साथ निर्मम और क्रूरतम व्यवहार कर रही केंद्र सरकार- कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री रविन्द्र चौबे ने केंद्र सरकार पर किसानों को सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्होंने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा है कि बीजेपी को केवल कुर्सी का मोह है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार से केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने 12 लाख टन खाद उर्वरक की मांग की गई थी। मगर अभी तक खाद का आवंटन नहीं किया गया है। उन्होंने भाजपा सांसदों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे खाद की मांग क्यों नहीं करते हैं। प्रदेश में 48 लाख हेक्टेयर खरीफ की खेती में 39 लाख हेक्टेयर में सिर्फ धान की खेती होती है।

केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों के साथ निर्मम और क्रूरतम व्यवहार किया जा रहा है। प्रदेश में बीजेपी का रवैया पहले से ही किसान विरोधी रहा है। बीजेपी को और उनके पदाधिकारियों को सिर्फ कुर्सी का मोह है।

उन्होंने कहा कि जब बोनी शुरू हो गई तो केंद्र से जरूरत के मुताबिक सप्लाई नहीं किया जा रहा है। ये रुकावट छतीसगढ़ के किसानों के साथ सौतेला व्यवहार है। जून महीने में 1 लाख मैट्रिक टन कम उर्वरक की सप्लाई केंद्र द्वारा की गई है। इससे आने वाले दिनों में इससे किसानी प्रभावित होगी।

सरकार द्वारा अतिरिक्त खाद की केंद्र से मांग की गई है। हमने प्रदेश के सभी सांसदों को पत्र लिखा कि ताकत दिखाए अपनी और केंद्र से इस बाबत मांग करे, पत्र लिखे लेकिन अबतक कोई जवाब नहीं आया। केंद्र क्या इसलिए यहां के किसानों से भेदभाव कर रही है कि यहां के किसानों ने भूपेश बघेल की सरकार को चुना है? केंद्र को जवाब देना चाहिए।

एमपी में 70 प्रतिशत और यूपी को 63-64% यूरिया केंद्र सरकार दे चुकी है। फिर छत्तीसगढ़ से सौतेला व्यवहार क्यों?
एमपी में जब 90 फीसदी डीएपी की आपूर्ति की जा चुकी है लेकिन छत्तीसगढ़ में नहीं। क्योंकि वहां बीजेपी की सरकार है और यहां कांग्रेस की। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ दोहरा रवैया अपना रही है।

कृषि मंत्री ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पहले वादा करके चावल लेने से मना किया। अब एथेनॉल प्लांट लगाने की अनुमति भी अभी तक नहीं दी गई है। छत्तीसगढ़ के किसानों को भारतीय जनता पार्टी अपना दुश्मन क्यों मानती है। राजनीति अपनी जगह है और करनी भी चाहिए, लेकिन किसानों के साथ केंद्र ऐसा निर्मम व्यवहार न करे।

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