श्रीहरिकोटा। आज सुबह 9:44 मिनट पर इसरो ने यहां के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी सी -45 के माध्यम से ईएमआईएसएटी सहित 29 सैटेलाइट को उनकी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
इन उपग्रहों में सबसे खास ईएमआईएसएटी यानी इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटलाइट है जिसे अंतरिक्ष में भारत की ‘आंख और कान’ कहा जा रहा है। इसरो के मुताबिक विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम को मापने वाले ईएमआईएसएटी को सुबह 9.44 मिनट पर कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
अफगानिस्तान से लेकर असम तक फैले भारतवर्ष पर अपनी पैनी नजर रखने वाले मौर्य शासक चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार आचार्य चाणक्य का मानना था कि किसी भी विशाल देश में सफलतापूर्व राज करने के लिए गुप्तचरों का प्रभावी नेटवर्क होना बेहद जरूरी होता है। उनका कहना था कि गुप्तचर किसी भी राजा के ‘आंख और कान’ होते हैं। कौटिल्य के मुताबिक, गुप्तचर दो कारणों आतंरिक निगरानी और युद्ध को देखते हुए बेहद अहम होते हैं।
क्या है इसरो की कौटिल्य परियोजना:
ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के महान कूटनीतिज्ञ कौटिल्य के इसी विचार से प्रेरित होकर भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान विकास संगठन ने ‘प्रॉजेक्ट कौटिल्य’ शुरू किया था। जानकारों के मुताबिक करीब 8 वर्षों की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने 436 किलोग्राम वजनी ईएमआईएसएटी को बनाने में सफलता हासिल की है। इसे डीआरडीओ की हैदराबाद लैब ने ‘प्रॉजेक्ट कौटिल्य’ के तहत बनाया है। इसे बनाने का उद्देश्य रेडार नेटवर्क की निगरानी करना है।
ईएमआईएसएटी की खासियत:
ईएमआईएसएटी के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार ने इसके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। विशेषज्ञों के मुताबिक कि ईएमआईएसएटी इजरायल के प्रसिद्ध जासूसी उपग्रह ‘सरल’ पर आधारित है। ये दोनों ही सैटलाइट एसएसबी-2 प्रोटोकॉल को फॉलो करते हैं। यह प्रोटोकॉल भारत जैसे विशाल देश में इलेक्ट्रानिक निगरानी क्षमता के लिए बेहद जरूरी है।
ईएमआईएसएटी में रेडार की ऊंचाई को नापने वाला डिवाइस एएलटीआईके लगा है जिसे डीआरडीओ के प्रॉजेक्ट ‘कौटिल्य’ के तहत विकसित किया गया है। इस उपग्रह की सबसे बड़ी खासियत सिग्नल की जासूसी करना है। इसमें जमीन से सैकड़ों किलोमीटर की ऊंचाई पर रहते हुए जमीन पर संचार प्रणालियों, रेडार और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों से निकले सिग्नल को पकड़ना है। जासूसी उपग्रह ईएमआईएसएटी जमीन पर स्थित बफीर्ली घाटियों, बारिश, तटीय इलाकों, जंगल और समुद्री की लहरों को बहुत आसानी नापने की क्षमता रखता है।
चीन – पाकिस्तान के खतरे से निपटेगा ईएमआईएसएटी :
भारत ने कुछ दिन पहले 300 किमी दूर अंतरिक्ष में अपने एक लाइव सैटलाइट को मिसाइल से मार गिराया था। इस परीक्षण के जरिए भारत ने अपने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान को संदेश दिया था कि वह अंतरिक्ष में किसी भी दुस्साहस का जवाब देने में सक्षम है। अब ईएमआईएसएटी के जरिए भारत ने अंतरिक्ष में एक ऐसी ताकत हासिल कर ली है जो जंग के मैदान का नक्शा ही बदल सकता है।
किसी भी देश के साथ युद्ध की सूरत में सबसे जरूरी होता है कि दुश्मन देश के रेडार को ढूंढकर उसे नष्ट करना ताकि उस पर हवाई हमला करते समय एयर डिफेंस सिस्टम उसके विमानों को निशाना न बना सकें। ईएमआईएसएटी इस काम को बखूबी अंजाम दे सकता है। ईएमआईएसएटी पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान में चल रही है गतिविधियों पर भी निगरानी रखने में सक्षम है। इसके अलावा तटीय क्षेत्रों में निगरानी रखना अब और आसान हो जाएगा। कुल मिलाकर कहें तो ईएमआईएसएटी अंतरिक्ष में भारत की आंख और कान बनने जा रहा है।
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