रायपुर। राज्य सरकार ने उन बैंकों के खिलाफ कार्रवाई शुरु कर दी गई है। जो किसानों को कर्ज देने में आनाकानी कर रहे हैं। कृषिमंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि किसानों की शिकायतों के बाद कॉपरेटिव बैंक दुर्ग और राजनांदगांव के सीईओ को नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया गया है। इन बैंकों के खिलाफ शिकायत मिली थी कि ये बैंक किसानों को ऋण देने में आनाकानी कर रहे थे।

आचार संहिता के कारण पैसे डालने में हुई देरी

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने साफतौर पर कहा कि सरकार की घोषणा के बाद कोई भी बैंक किसानों को डिफॉल्टर घोषित नहीं कर सकता। न ही उन्हें ऋण देने से इंकार कर सकता है। प्रदेश के सभी सहकारी और ग्रामीण बैंकों के खाते में 6100 करोड़ रुपये डाल दिए गए थे। आपको बता दें कि बजट सत्र में सरकार ने सरकारी बैंकों के लिए 7 हजार करोड़ की राशि का प्रावधान किया था। मगर आचार संहिता के लगने के कारण सरकारी बैंकों के खातों में पैसे डालने में देरी हो गई।

किसानों को कर्ज देने से इंकार नहीं कर सकते बैंक

श्री चौबे ने कहा कि आचार संहिता हटते ही अधिकांश बैंकों में कर्जमाफी की राशि जमा कर दी गई थी। कुछ बैंकों में यह राशि पहुंचने में देरी हो गई। जब सरकार ने कर्जमाफी की घोषणा कर दी तो कोई भी बैंक न किसी किसान को डिफाल्ट कर सकता है न ही उसे केसीसी के तहत ऋण देने से रोक सकता है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई शिकायत आती है तो बैंकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश सरकार ने कलेक्टरों को दे दिए हैं।

पहले से डिफाल्टर घोषित किसानों को भी मिलेगा ऋण

बिलासपुर में किसानों को डिफाल्टर होने की शिकायत के बाद कलेक्टर से बात करके कार्रवाई के निर्देश जल्द दिए जाएंगे। चौबे ने कहा कि कुछ किसानों के खाते पहले से डिफाल्ट थे। जिसके कारण उन्हें नए लोन में दिक्कत आ रही थी। राज्य भर में ये राशि करीब 1175 करोड़ थी। सरकार ने उन्हें भी राहत देते हुए वन टाइम सैटलमेंट 50 फीसदी पर करने का फैसला किया है। जिसके बाद पहले से बैकों द्वारा डिफाल्टर किसानों को भी ऋण अब से मिल पाएगा।