रायपुर। निलंबित IPS अधिकारी मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी अब कभी भी हो सकती है। मिली जानकारी के अनुसार दुर्ग पुलिस ने दिल्ली स्थित आवास पर गिरफ्तारी हेतु दबिश दी थी। मगर उन्हें वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा। बता दें कि गुप्ता के खिलाफ दुर्ग के सुपेला थाने में धारा 409, 420, 467, 471, 201 और 421 के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खरीदी थी जमीन

आपको बता दें कि पिछले दिनों माणिक मेहता की शिकायत पर निलंबित IPS मुकेश गुप्ता के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था। मुकेश गुप्ता पर यह आरोप लगाया गया है कि दुर्ग जिले के एसपी के रूप में काम करने के दौरान उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर साडा की मोतीलाल आवासीय योजना में भूखंड का आबंटन अपने नाम कराया था। यह आबंटन साडा भंग होने के बाद कराया गया। साडा भंग होने के एक दिन बाद ही 9 जून 1998 को 2928 वर्गफुट भूखंड के बदले उससे लगभग दोगुने भूखंड यानी 5810 वर्गफुट की रजिस्ट्री चेक देकर कराई। आरोप है कि जमीन क्रय करने पश्चात मुकेश गुप्ता ने उस पर भवन निर्माण कराया। इस मामले की शिकायत होने बाद उस मकान को 42 लाख रुपये में बेच दिया और दिल्ली में 1 करोड़ 5 लाख रुपये का घर खरीदा।

परिजनों ने दिल्ली पुलिस में की शिकायत

वहीं फोन टेपिंग मामले में नोटिस के बाद मुकेश गुप्ता ने ईओडब्ल्यू ( EOW ) के डीजी, आईजी, एसपी और डीएसपी को अपने वकील के जरिए पत्र भेजा है। जिसमें गुप्ता ने मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए आशंका जताई है कि बयान दर्ज कराने ईओडब्ल्यू पहुंचने के बाद दुर्ग पुलिस उनकी गिरफ्तारी कर सकती है। जिसके बाद 14 जुलाई को रात 9.00 से 9.30 बजे के बीच दिल्ली स्थित निवास में दुर्ग सीएसपी विवेक शुक्ला, सुपेला टीआई राजेंद्र सिंह, टीआई विनय सिंह समेत छह-सात पुलिस कर्मियों ने उनकी अनुपस्थिति में वैधानिक दस्तावेजों के बगैर घर पर दबिश दी। उस दौरान उनकी पत्नी और बेटियां मौजूद थी। इस मामले में परिजनों ने दिल्ली के संबंधित पुलिस थाने में एक शिकायत भी दर्ज कराई है।

 

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