रायपुर। सावन महीने में आने वाली अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में इसे हरेली तिहार (Hareli Tihar) के रूप में मनाया जाता है। आज मुख्यमंत्री निवास हरेली (Hareli) के पारंपरिक पर्व की इंद्रधनुषी छटा से सराबोर है। छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों, लोक नर्तकों, लोक गायकों ने इस रंग को और अधिक मधुरता से भर दिया है। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) महतारी की वंदना के साथ ’अरपा पैरी के धार’ जैसे सुमधुर गीतों, झांझर, मांदर और गुदुम बाजा के साथ हरेली गीत भी गाये गए।

 

लोक नर्तक दलों ने गेड़ी , करमा, सुआ ,राउत नाचा ,पंथी नृत्य और गौरी -गौरा नृत्य प्रस्तुत किए। सीएम भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने मुख्यमंत्री निवास में आज सबसे पहले उनसे मिलने स्कूलों से आये नन्हें बच्चों से मुलाकात की और उनसे न केवल हरेली की शुभकामनाएं ली, बल्कि उन्हें हरेली की शुभकामनाएं देते हुए छत्तीसगढ़ के उत्साह भरे पारंपरिक खेलों के लिए प्रोत्साहित किया।

मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री निवास में कृषि यंत्रों नागर, कुदाली, फावड़ा, गैती आदि की विधि-विधान से पूजा कर हरेली (Hareli) जोहार कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

 

हल उठाकर मुख्यमंत्री ने हरेली यात्रा का शुभारंभ

हरेली यात्रा के सामने जहां छत्तीसगढ़ी महतारी ने बैलगाड़ी पर सवारी की वहीं मुख्यमंत्री के बैलगाड़ी के बाद बैलगाड़ियों का कारवा निकला, जिसमें यहां के लोककलाकार भी शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने हरेली (Hareli) की पूजा केे बाद सावन झूले में बहनों से मुलाकात की। उन्होंने मंत्री श्री कवासी लखमा और विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा के साथ सावन के झूले का आनंद भी लिया।

गेढ़ी पर चढ़ कर सीएम ने किया अपने बचपन को याद

 

लगभग पांच सौ लोक नर्तकों ने पारंपरिक वेशभूषा में वाद्य यंत्रों एवं साज सज्जा के साथ गेड़ी, बैलगाड़ी के साथ यात्रा की।

 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने मंत्री मंडल के सदस्यों के साथ निकले हरेली (Hareli) यात्रा पर।

 

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