नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर दिया है। केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए नाराजगी जताई है। सीजेआई ने याचिकाकर्ता एलएल शर्मा से कहा कि अनुच्छेद 370 पर यह किस तरह की याचिका है ? इसे खारिज किया जा सकता था, लेकिन रजिस्ट्री में पांच अन्य याचिकाएं भी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सरकार को समय देना चाहते हैं

वहीं, केंद्र ने राज्य में मीडिया पर लगाई पाबंदियां हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय को बताया कि जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में दिन प्रतिदिन स्थिति में सुधार हो रहा है, पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जा रही हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील एम एल शर्मा से कहा कि अनुच्छेद 370 पर केंद्र के कदम के खिलाफ उनकी याचिका का कोई ‘मतलब नहीं है।’ सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि उन्होंने अनुच्छेद 370 (Article 370) पर दी गई यह याचिका पढ़ने में 30 मिनट लगाए लेकिन इसका कोई मतलब नहीं पता चल सका। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हम सरकार को समय देना चाहते हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा राष्ट्रपति का आदेश गैरकानूनी

अधिवक्ता एम एल शर्मा ने जहां अनुच्छेद 370 (Article 370) के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती दी है। वहीं पत्रकार ने अपनी याचिका में पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट एवं लैंडलाइन सेवाओं समेत संचार के सभी माध्यमों को बहाल करने के निर्देश देने की मांग की है ताकि मीडिया अपना काम कर सके। अधिवक्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि अनुच्छेद 370 (Article 370) पर राष्ट्रपति का आदेश गैरकानूनी है क्योंकि यह जम्मू कश्मीर विधानसभा की सहमति के बिना जारी किया गया। वहीं 10 अगस्त को दायर अलग याचिका में भसीन ने कहा कि वह कश्मीर और जम्मू के कुछ जिलों में पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों की आवाजाही पर लगी सभी पाबंदियों को तत्काल हटाने के संबंध में केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन के लिए निर्देश चाहती हैं।

इससे पहले मंगलवार को शीर्ष अदालत ने प्रतिबंधों पर हस्तक्षेप करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि संवेदनशील स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए और सुनवाई दो हफ्तों के बाद तय की थी। जम्मू कश्मीर की मुख्य राजनीतिक पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) ने भी जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में किए गए बदलावों को कानूनी चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है।

पार्टी ने तर्क दिया है कि इन बदलावों ने जनादेश के बिना वहां के नागरिकों से उनके अधिकार ले लिए। यह याचिका लोकसभा सदस्य मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने दायर की है। दोनों नेशनल कॉन्फ्रेंस से हैं।

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