रायपुर। बारनवापारा की वनभैंस ‘‘खुशी’’(female bison khushi) ने ‘‘पाड़ा’’ देकर वन विभाग को दु:खी कर दिया। अब खबर है कि असम के मानस नेशनल पार्क (Manas National Park of Assam) से नवंबर में 5 नई ‘‘दुल्हनें’’ (5 new “brides”)(मादा वनभैंस) मंगवाई जा रही हैं। सोमवार को ये जानकारी पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ (PCCF wild life)अतुल शुक्ला ने दी। उन्होंने बताया कि वनभैंसों( Bison) को लाने की स्वीकृति भी मिल चुकी है। ऐसे में बारनवापारा के वनभैसों को जल्दी ही 5 ‘‘‘दुल्हनें’’(5 new “brides”) मिलने वाली हैं। तो वहीं उम्मीद जताई जा रही है कि इनके आ जाने से राजकीय पशु की वंशवृध्दि(State Animal Generation) में तेजी जरूर आएगी।
वन विभाग की लापरवाही पड़ी भारी:
जानकार बताते हैं कि छत्तीसगढ़ का गठन होने के बाद प्रदेश में 80 वनभैंसे थे, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते दिन ब दिन वन भैंसों की संख्या कम होती चली गई। वर्ष 2005-06 में इनकी संख्या घटकर 12 के करीब पहुंच गई थी । वर्तमान में प्रदेश में राजकीय पशु की संख्या घटकर 10 पहुंच गई है। उदंती सीता नदी में खुशी नामक मादा वनभैंसा ने आंनद नामक नर को जन्म दिया है।
नए मेहमान के आने के बाद वनभैंसा रेस्क्यू सेंटर में दो मादा समेत वनभैंसों की संख्या ब़ढ़कर नौ हो गई है। जंगल सफारी में क्लोन से तैयार एक वनभैंसा है। रेस्क्यू सेंटर में प्रजनन योग्य केवल खुशी नामक वनभैंसा है, जिसकी वजह से वनभैंसों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। प्रदेश में राजकीय पशु की संख्या में लगातार कमी आने की वजह विभाग के अधिकारी भी अभी तक नहीं कर पाए हैं।
क्या-क्या होंगी परेशानियां:
पशु विशेषज्ञों की अगर मानें तो असम में गर्मी के दिनों में अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहता है, वहीं छत्तीसगढ़ का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ऐसे में आठ डिग्री ज्यादा तापमान में वनभैंसों के पालन पोषण को लेकर शंका व्यक्त कर रहे हैं। साथ ही असम की घास गिली मिट्टी युक्त रहती है, गर्मी के दिनों में छत्तीसगढ़ की घास सूख जाती है। इस स्थिति में असम से लाए वनभैंसों के लिए भोजन की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती होगी।
मैना के लिए भी कुछ सोचें साहब:
वन्यजीव प्रेमी लगातार अवाज उठा रहे हैं कि अब वन विभाग को मैना की भी वंशवृध्दि के लिए प्रयास करना चाहिए। हालांकि लंबे अरसे से पानी की तरह पैसे फेंकने के बाद भी मैना की वृशवृध्दि नहीं हो पा रही है। लगातार प्रयोग-पर प्रयोग फेल होते चले जा रहे हैं। तमाम कोशिशें नाकाम हो चली हैं। अब अगर विभाग ने राजकीय पशु के बारे में सोच ही लिया है तो राजकीय पक्षी के बारे में भी सोचना चाहिए।
क्या कहते हैं पीसीसीएफ:
असम स्थित मानस नेशनल पार्क से पांच मादा वनभैंसा लाया जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। नवंबर माह में इसे लाया जाएगा। वनभैंसे को बारनवापारा में रखा जाएगा।
– अतुल शुक्ला,
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ