रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल(CM Bhupesh Baghel) इन दिनों सोशल इंजीनियरिंग(social engineering) को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं। गरीब सवर्णों का आरक्षण, आदिवासियों की भूमि वापसी, नजरी नक् शा, खनिज निधि से अंडा वितरण का फंडा ये ऐसे कारगर औजार(Effective tools) हैं जिसके बल पर वे आने वाले समय में भूपेश बघेल  कांग्रेस की सियासी जमीन को मजबूत करेंगे(Will strengthen the political ground of Congress)।

जब कि केंद्र सरकार (central government) इसको पहले ही कई राज्यों में लागू कर चुकी है, मगर सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने छत्तीसगढ़ में इसको लागू कर नया कार्ड खेल दिया। सवर्ण(Upper Caste) और आदिवासी (Trible) दोनों को ही अपनी ओर मिलाने की उनकी ये कोशिश कारगर साबित हो रही है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी (bjp) की हार के बाद सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का कदम सरकार ने उठाया है। आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल इलाके में जहां सवर्ण आंदोलन हुए वहां विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 34 सीटों में से 7 सीटें मिली थीं, जबकि 2013 के चुनाव में यहां बीजेपी ने 20 सीटें जीती थीं। छत्तीसगढ़ की कुल 45 सीटों को सवर्ण समीकरण प्रभावित करता है। ऐसे में अगर इधर से कुछ छूटेगा या फिर टूटेगा तो उसकी भरपाई के लिए 32 फीसदी आदिवासी खड़े हो जाएंगे। यही कारण है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आदिवासियों के मुद्दे पर भी कभी कोई कोताही बरतने को तैयार नहीं हैं। उनको भी खुश करने के लिए नजरी नक् शे का दांव खेल दिया है।

सवर्णों को यूं किया बैलेंस:

भूपेश बघेल की सरकार ने कुछ दिन पहले ही जब ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी और एससी वर्ग के आरक्षण को 12 से 13 फीसदी करने का फैसला आया तब सवर्णों के बीच से आवाज उठने लगी थी। मध्यप्रदेश की तरह यहां भी सपाक्स आंदोलन खड़ा हो पाता उससे पहले ही भूपेश सरकार ने बड़ा दांव खेल दिया। इस फैसले के मूल में जैसी भी सोच हो। पर फैसले से एक संदेश जरूर निकल रहा है- गरीब सवर्णों के बारे में सरकार ने सोचा है। छत्तीसगढ़ पहला राज्य नहीं है जो यह फैसला कर रहा है पर इस राज्य के लिए उसके मायने अलग हैं। इस राज्य में एसटी, एससी ओर ओबीसी की बहुलता है। यहां अब 82 फीसदी आरक्षण हो जाएगा।

कहां कितने फीसदी आरक्षण:

राज्यों की ओर देखा जाए तो मौजूदा व्यवस्था में सबसे ज्यादा आरक्षण हरियाणा में दिया जाता है। यहां कुल 70 फीसदी आरक्षण है, जबकि तमिलनाडु में 68, महाराष्ट्र में 68 और झारखंड में 60 फीसदी आरक्षण है।
वहीं, राजस्थान में कुल 54 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 50 फीसदी, बिहार में 50 फीसदी, मध्य प्रदेश में भी कुल 50 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 35 फीसदी आरक्षण व्यवस्था है। आंध्र प्रदेश में तो कुल 50 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। इसमें महिलाओं को 33.33 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण है। पूर्वोत्तर की बात की जाए तो अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम में अनुसूचित जनजाति के लिए 80 फीसदी आरक्षण है। तो वहीं छत्तीसगढ़ की सरकार अब 82 फीसदी आरक्षण देने जा रही है। इसके लिए उसे अध्यादेश भी लाना होगा।

सवर्ण समाज में खुशी की लहर:

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट के इस फैसले से सवर्ण समाज के लोग काफी प्रसन्न दिखाई दे रहे हैं। सर्व क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर राकेश सिंह बैस ने इसको स्वागतेय कदम बताया। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार भी जताया। तो वहीं बघेलखंड राजपूत समाज के अध्यक्ष ठाकुर सुतेन सिंह बघेल ने भी इसकी प्रशंसा की। इसको समाज के लिए काफी उपयोगी बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अन्य कार्यों की भी प्रशंसा की। तो वहीं अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर अवधेश सिंह गौतम ने इसको क्षत्रिय समाज के लिए बेहद अच्छा कदम बताया है। कमोबेश यही हालत दूसरे समाज के लोगों की भी रही। सभी ने प्रदेश के मुखिया की अपने-अपने ढंग से सराहना की। लब्बोलुआब ये कि भूपेश बघेल ने भाजपा की जेब से बड़ी सफाई से इस प्रसिध्दि को अपने पाले में खीच लिया। इसके सकारत्मक परिणाम आने वाले समय में सामने आएंगे।

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