रायपुर। देश भर में इन दिनों गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर्व की धूम देखने को मिल रही है। हर ओर गणपति बप्पा मोरया के उद्घोष गुंजायमान हैं। लेकिन इस उद्घोष में बोले जाने वाले मोरया शब्द का इतिहास कितने लोग जानते हैं, ये आंकलन कर पाना बहुत ही मुश्किल है। क्योंकि आज भी मोरया शब्द के इतिहास की जानकारी अधिकांश लोगों से कोसो दूर है।

ऐसे में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के खास मौके पर हम बात करेंगे मोरया शब्द के इतिहास के बारे में। आखिर सर्वसुलभ एवं जन-प्रचलित “गणपति बप्पा मोरया” उद्घोष में मोरया शब्द का अर्थ क्या है? सोशल मीडिया (social media) में तेजी से वायरल हो रहे विजय नगरकर के ट्विटर पोस्ट में मोरया शब्द के इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है।
जानें मोरया शब्द का अर्थ
विजय नगरकर के ट्विटर पोस्ट के मुताबिक “गणपति बप्पा मोरया” यह उद्घोष बड़ा ही सर्वसुलभ एवं जन-प्रचलित है…परन्तु अधिकांश लोगों को इसमें “मोरया” (विकृत होकर :-मोरिया,मोर्या) शब्द का अर्थ मालूम नहीं हैं…. चूंकि सभी लोग उद्घोष कर रहे हैं , इसलिए वे भी कर देते हैं…

गणेशोत्सवमोरया गोसावी नामक संत चौदहवीं शताब्दी के संत थे.वे भगवान गणेश के एकनिष्ठ एवं अनन्य भक्त थे.गोसावी का जन्म पुणे के मोरगांव में हुआ था.
इन्होने मोरगांव में ही तपस्या करके मोरेश्वर (अर्थात गणपति ) की पूजा की थी.मोरया गोसावी के पुत्र चिंतामणि को भी गणेश का अवतार माना जाता है। आगे जाकर मोरया गोसावी ने संजीवन समाधि ग्रहण की… चिंचवड में आज भी मोरया गोसावी की समाधि एवं उनके द्वारा स्र्थापित गणेश मंदिर, भक्तों का प्रमुख आकर्षण है.संत मोरया मोरया गोसावी , संत एकनाथ के समकालीन थे…
अष्टविनायक (महाराष्ट्र के प्रसिद्ध आठ गणेश मंदिर) यात्रा आरम्भ करने का श्रेय दिया जाता है….
ऐसे ही महान एवं परम गणेश भक्त की अद्भुत भक्ति-समर्पण एवं तपस्या के कारण उनका नाम गणपति बप्पा से एकाकार होकर “गणपति बप्पा मोरया” कहलाने लगा… “मोरया मोरया। .. गणपति बप्पा मोरया”…