रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के निर्देश पर खनिज विभाग ने रेत खदानों से 200 करोड़ रुपये का राजस्व (Revenue) प्राप्त करने की योजना बनाई है। वहीँ खनिज विभाग ने अब तक सिर्फ फॉर्म की बिक्री से ही 4 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। इस कमाई के आंकड़ों के बाद अब उम्मीद ये जताई जा रही है कि सरकार को रेत खनन से एक साल में 200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो सकता है। ऐसे में सरकार की ओर से इस राजस्व का उपयोग महात्वाकांक्षी योजनाओं के क्रियांवयन पर किया जाएगा।

बता दें कि पिछली सरकार में रेत खनन से सरकार को एक साल में महज 10 करोड़ रुपये ही राजस्व (Revenue) प्राप्त होता था। सरकार के इस फैसले से निश्चित ही रेत माफियाओं की लूट पर लगाम लगेगी और सरकार को बड़ा राजस्व (Revenue) मिलेगा।

रेत खदान संचालन का नियम

राज्य शासन द्वारा रेत खदानों के संचालन के लिए छत्तीसगढ़ गौण खनिज संधारण रेत (उत्खनन एवं व्यवसाय) नियम 2019 के तहत अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया। इस नियम के अंतर्गत चयनित बोलीदार को 02 वर्ष हेतु रेत उत्खनन पट्टा का आबंटन किया जाएगा।

अब छत्तीसगढ़ का मूल निवासी ही नीलामी में भाग ले सकेगा

खनिज विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 5 जिलों में कुल 74 रेत समूह बनाकर 105 रेत खदानों के लिए एन.आई.टी. जारी किया गया है, इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ का मूल निवासी ही नीलामी में भाग ले सकता है। रेत उत्खनन में किसी व्यक्ति-फर्म-संस्था का एकाधिकार समाप्त करने के लिए नई व्यवस्था के अंतर्गत किसी एक जिले में मात्र एक खदान समूह तथा पूरे प्रदेश में अधिकतम पांच समूहों में ही रेत खदानें प्राप्त कर सकते हैं। नये नियम से कार्य के बेहतर क्रियान्वन में पारदर्शिता आएगी।

नई खनन नीति के फायदे

1. रेत के दामों में कमी आएगी।
2. रेत माफियाओं का एकाधिकार खत्म होगा।
3. छत्तीसगढ़ के मूल निवासी ही रेत खदान का संचालन करेंगे।
4. राज्य सरकार को पिछली सरकार की तुलना में 20 गुना ज्यादा राजस्व मिलेगा।

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