रायपुर। किसी व्यक्ति में अगर कला है तो वो शख्स नाम और शोहरत का मोहताज नहीं होता। देर से सही लेकिन कला इंसान को शख्शियत बना ही देती है। आज ऐसे ही एक उपन्यासकार के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनकी जिंदगी में साहित्य,कला और संस्कृति ही उनकी धरोहर बन गयी है। रिटायर्ड आईएएस अफसर और उपन्यासकार बीकेएस रे साहित्य, संस्कृति एवं कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए जाने जाते हैं। साथ ही इस दिशा में इनके रचनात्मक अवदान के चलते इन्हें कई सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

हाल ही में जून माह में ग्रीस की राजधानी इथेन्स में उपन्यासकार बीकेएस रे को साहित्यिक क्षेत्र में योगदान के लिए सुकरात अवॉर्ड और मीडिया में योगदान के लिए ट्रू मीडिया अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। बता दें कि ग्रीस में आठ दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस मौके पर देशभर के चुनिंदा 35 साहित्यकार, लेखक और कवि इस सम्मेलन में शामिल हुए। इस अवसर पर बीकेएस रे ने अपनी कविताओं का पाठ भी किया था।

द रूरल प्रेस के माध्यम से उपन्यासकार बीकेएस रे ने साहित्यकारों के नाम सन्देश देते हुए कहा कि साहित्य एक साधना है। एक लेखक को जिंदगीभर लिखते रहना चाहिए। लेखक को समाज में जागरूकता लेन की दिशा में बेहतर कार्य करते रहना चाहिए। साथ ही लेखक अपने पाठकों को लेखन से प्रभावित भी रखें।

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