टीआरपी डेस्क। अगर आप मोबाइल और माइक्रोवेव का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो ये खबर आपके

काम की हो सकती है। बता दें कि स्पेन के मलागा स्थित ‘बडविग सेन्टर’ नेचुरल इंटीग्रेटिड ट्रीटमेंट

कैंसर सेंटर है जो डॉ बडविग की मूल चिकित्सा पद्धति पर काम करता है। केंद्र की प्रबंधक एवं प्राकृतिक

चिकित्सा विशेषज्ञ कैथी जेनकिंस ने दावा किया कि कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों से जंग में बडविग चिकित्सा

पद्धति सफलतम है।

 

उन्होंने कहा,‘‘पिछले 70 सालों में इस चिकित्सा पद्धति से कई लोगों के जीवन में आशा की किरण नहीं बल्कि

‘जीवन का सूरज’ चमक रहा है लेकिन अफसोस की बात है कि विश्व की बड़ी आबादी बडविग प्रोटोकॉल से

अनजान है।

 

वैज्ञानिक ओटो एच वारबर्ग ने खोजा था कैंसर का मूल कारण :


विश्वभर में कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं और इसकी चपेट में आने से हर वर्ष लाखों लोगों की दर्दनाक मौत

हो रही है। आज कम उम्र के लोगों में ब्रेन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। आशंका है कि मोबाइल फोन का उपयोग

बढ़ जाने से ऐसा हो रहा है। सेल फोन के प्रयोग में आवश्यक हिदायत बरतना अनिवार्य है।” जर्मनी के प्रसिद्ध

वैज्ञानिक ओटो एच वारबर्ग ने वर्ष 1923 में कैंसर के मूल कारण की खोज कर ली थी। उन्होंने अपने प्रयोगों से सिद्ध

कर दिया था कि सेल्स में ऑक्सीजन की कमी के कारण वे फर्मेन्टेशन की प्रक्रिया से श्वसन क्रिया करने लगते हैं

और वे कैंसर सेल्स में परिवर्तित हो जाते हैं।

 

ये थी डॉ जोहाना की खोज :

फर्मेन्टेशन प्रक्रिया में लेक्टिक एसिड बनता है जिससे कैंसर में शरीर का पीएच एसिडिक हो जाता है। इस खोज

के लिए वैज्ञानिक ओटो एच वारबर्ग को वर्ष 1931 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। डॉ वारबर्ग ने संभावना

जताई थी कि सेल्स में ऑक्सीजन को आकर्षित करने के लिए सल्फरयुक्त प्रोटीन और एक अज्ञात फैट जरूरी

होता है परन्तु वह इस फैट को पहचानने में असफल रहे। तब Dr. Johanna Budwig ने उनके इस कार्य को आगे

बढ़ाया। वर्ष 1951 में डॉ बडविग ने पहली बार लाइव टिश्यू में फैट्स को पहचानने की पेपर क्रोमेटोग्राफी तकनीक

विकसित की थी। इससे सिद्ध हुआ कि ओमेगा-थ्री फैट किस प्रकार विभिन्न बीमारियों से बचाते हैं, स्वस्थ जीवन के

लिए कितने आवश्यक हैं और ट्रांसफैट से भरपूर हाइड्रोजिनेटेड फैट तथा मॉर्जरीन जानलेवा हैं।

 

अलसी का तेल फायदेमंद :


इस खोज से यह भी स्पष्ट हुआ कि सेल्स में ऑक्सीजन को आकर्षित करने वाला वह रहस्यमय एवं अज्ञात फैट

अलसी के तेल में पाया जाने वाला अल्फा-लिनोलेनिक एसिड है जिसे डॉ वारबर्ग और कई वैज्ञानिक दशकों से

तलाश थी। वर्षों के शोध के बाद डॉ बडविग ने अलसी के तेल, पनीर, जैविक फलों और सब्जियों के जूस,

व्यायाम, सन बाथ आदि को शामिल करके कैंसर का अपना उपचार विकसित किया।

 

राजस्थान के कोटा में भी है बडविग केन्द्र :

राजस्थान में कोटा के बडविग केन्द्र के संस्थापक डॉ ओम प्रकाश वर्मा पिछले करीब 10 साल से बडविग चिकित्सा

पद्धति से इलाज कर रहे हैं। सभी प्रकार के कैंसरों के अंतिम चरण के करीब पांच सौ रोगियों का सफल इलाज

करने का दावा करते हुए डॉ वर्मा ने कहा कि यह चिकित्सा प्रणाली सफल होने के साथ-साथ कम खर्चीली भी है।

कई स्तर की जांच के बाद रोगी का इलाज शुरु किया जाता है। परिजनों को इलाज की पूरी जानकारी और चिकित्सा

उपयोग में लाई जाने वाली सामग्रियों के साथ एक ही दिन में ही घर भेज दिया जाता है। समय-समय पर संपर्क करके

रोगी की जानकारी ली जाती है और चिकित्सा सामग्री मुहैया कराई जाती है। उन्होंने कैंसर से बचाव के लिए आवश्यक

सुझाव देते हुए कहा कि एक से दो टेबलस्पून फ्लैक्ससीड्स का तेल और करीब 25 ग्राम फ्लेक्स सीड्स का नियमित

सेवन करना चाहिए।

 

इन चीजों से रहे दूर

बाजार में मिलने वाले सभी खाद्य पदार्थ ट्रांस फैट्स (वनस्पती और रिफाइंड तेल) से बने होते हैं और से कैंसर के

प्रमुख कारणों में से एक हैं, इनसे बचना चाहिए। जंक फूड और बाजार में प्रचलित पेय पदार्थ तो जहर के समान हैं।

मोबाइल फोन, माइक्रोवेव ओवन आदि से निकले वाले खतरनाक मैग्नेटिक रेडिएशन को वैज्ञानिकों ने कैंसर की

जननी का नाम दिया है।

 

मोबाइल फोने के अंधाधुंध उपयोग के कारण बढ़ते ब्रेन कैंसर की गंभीर स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि

जहां तक हो सके मोबाइल फोन पर लंबी-लंबी बातें नहीं करनी चाहिए। बेहतर होगा कि हम अपने घर यानी

लैंड लाइन की ओर लौटें। माइक्रोवेव ओवन को टाटा बाय-बाय करने में समझदारी है। अगर हम डॉ बडविग के

सिद्धांतों पर चले तो हमें विश्व में एक भी कैंसर अस्पताल की जरुरत नहीं होगी।

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