नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को एयरफोर्स की पहली महिला फाइटर पायलटों को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन में फाइटर पायलट मोहना जीतरवाल, अवनि चतुर्वेदी और भावना कांत को यह पुरस्कार दिया गया। फाइटर पायलटों ने कहा कि हम किसी भी ऑपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं और देश की सेवा करना चाहते हैं।

भारत सरकार ने प्रायोग के तौर पर महिलाओं के लिए वायुसेना में फाइटर स्ट्रीम की शुरुआत की थी। इसके बाद इन तीनों महिलाओं को फाइटर पायलट बनाया गया। तीनों को वायुसेना के स्क्वॉड्रन में शामिल किया गया। तीनों फाइटर पायलट 2018 में मिग-21 फाइटर प्लेन उड़ा चुकी हैं।

पुरस्कार मिलने के बाद वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया उनकी पत्नी के साथ महिला फायटर पायलट।

दृढ़ निश्चय रास्ते की बाधाओं को दूर करता है : अवनि चतुर्वेदी

फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनि चतुर्वेदी ने कहा कि आप जो भी करियर चुनें, उसके लिए दृढ़ निश्चयी रहें और कड़ी मेहनत करें। इससे रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी। अवनि ने हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी से ट्रेनिंग ली है। वह राजस्थान के सूरतगढ़ में स्क्वॉड्रन नंबर-23 में तैनात हैं। 2018 में उन्हें फ्लाइट लेफ्टिनेंट बनाया गया था। अवनि को 2018 में वनस्थली विद्यापीठ ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया।

यह पुरस्कार महिलाओं के लिए प्रेरणा : भावना

फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत ने कहा कि इस तरह का पुरस्कार हमारे लिए सौभाग्य की बात है। यह उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो भविष्य में कुछ बनने की ख्वाहिश रखती हैं। भावना बिहार में दरभंगा की रहने वाली हैं। उन्होंने बेंगलुरु केबीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीई (मेडिकल इलेक्ट्रोनिक्स) की डिग्री हासिल की है। वह हरियाणा के अंबाला में स्क्वॉड्रन नंहर- 3 में तैनात हैं।

सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करते रहें :  मोहना सिंह

फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह जीतरवाल ने कहा, “हमें अब फाइटर जेट में लड़ने का मौका मिल रहा है, इसके लिए मैं वायुसेना को धन्यवाद देती हूं। सभी को मेरा संदेश है कि अपने सपनों को हासिल करने के लिए प्रयासरत रहें।” मोहना का जन्म आगरा में हुआ है।

उन्होंने नई दिल्ली में एयरफोर्स स्कूल से पढ़ाई की है। मोहना के पिता प्रताप सिंह भारतीय वायुसेना में वारंट अफसर हैं। उनके दादा 1948 में भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई के दौरान शहीद हो गए थे। मरणोपरांत उन्हें वीरचक्र से सम्मानित किया गया था।

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