नई दिल्ली। कोरोना वायरस (coronavirus) महामारी से जूझ रहे भारत में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी और लॉकडाउन ( Lockdown ) में ढील दिए जाने से इसने काफी दूर तक पैर पसार लिए हैं। लेकिन इस बिच अच्छी खबर यह है, की राज्यवार आंकड़ों को देखें तो पता चलता है। कि कोरोना वायरस के कुल रोगियों में से बहुत कम को ही गंभीर देखभाल की जरूरत होती है। इन मरीजों को ICU ( Intensive Care Unit ) की कम ही आवश्यकता होती है। यही हाल वेंटिलेटर्स ( Ventilator ) की जरूरत का भी है।

वहीं, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों में भी यही स्थिति है, जहां प्रवासी मजदूरों की घर वापसी ने कोरोना वायरस के मामलों को बढ़ाया है।

लॉकडाउन 4.0 के बाद आगे की क्या योजना है संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए नीतीयोग के डॉ. विनोद पॉल ने कहा, “हमारा लक्ष्य महामारी को नियंत्रित करना और फिर सामान्य स्थिति बहाल करना है ताकि जीवन आगे बढ़ सके। यह प्रतिबंधों के सभी फैसलों के लिए महत्वपूर्ण है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि महामारी का आकार रोगियों के इलाज के लिए हमारी क्षमता से कम रहे।”

छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार जैसे प्रदेशों में जहां प्रवासियों की वापसी चिंता का कारण है, अच्छी बात यह है कि अब तक यहां कोई भी मरीज वेंटिलेटर, ऑक्सीजन या आईसीयू में नहीं है। इसके कारण स्पष्ट नहीं हैं। ऐसी भी अटकलें हैं कि इन राज्यों में महामारी अपने प्रारंभिक चरण में हो सकती है या कुछ रोगियों को ही महत्वपूर्ण देखभाल की आवश्यकता होती है या फिर यह कि इन राज्यों में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे समान रूप से नहीं हैं।

भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य फाउंडेशन और आईसीएमआर के COVID सदस्य डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा, “आंकड़ें बताते हैं कि पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश को छोड़कर गहन देखभाल की आवश्यकता बेहद कम देखने को मिली। वेंटिलेटर का इस्तेमाल भी बहुत कम नजर आता है और ऑक्सीजन का इस्तेमाल मैकेनिकल वेंटिलेटर से अधिक किया गया। कुल मिलाकर आंकड़े एडवांस्ड इंटेसिव केयर (गहन देखभाल) की बहुत सीमित आवश्यकता के साथ अच्छे क्लीनिकल परिणामों के अनुरूप हैं।”

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