नई दिल्ली। रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। हर बार उन्हें नई- नई मुसीबतों का सामना करना पढ़ रहा है। अब रक्षा मंत्रालय ने रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (आरएनईएल) को दिया 2500 करोड़ रुपए का ठेका रद्द कर दिया है।

आपको बता दे रिलायंस नेवल को भारतीय नौसेना के लिए गश्ती जहाजों की आपूर्ति करनी थी, लेकिन देरी के कारण ठेका रद्द कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने दो सप्ताह पहले ही यह फैसला किया है।

रिलायंस नेवल खरीदने की इच्छा इन कंपनियों ने जताई

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अब ये साडी कंपनिया रिलायंस नेवल खरीदने की इच्छा जताई है। अगस्त में 12 कंपनियों ने रिलायंस नेवल को खरीदने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) दाखिल की थी। इन कंपनियों में एपीएम टर्मिनल्स, यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन (रूस), हेजल मर्केंटाइल लिमिटेड, चौगुले ग्रुप, इंटरप्स (अमेरिका), नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स, एआरसीआईएल, आईएआरसी, जेएम एआरसी, सीएफएम एआरसी, इन्वेंट एआरसी और फियोनिक्स एआरसी शामिल हैं।

रिलायंस ग्रुप और रक्षा मंत्रालय के बीच हुआ था समझौता

आपको बता दे रिलायंस ग्रुप और रक्षा मंत्रालय के बीच नौसेना के लिए पांच गश्ती जहाजों को लेकर 2011 में एक समझौता हुआ था। यह समझौता रिलायंस ग्रुप की ओर से निखिल गांधी से गुजरात के शिपयार्ड को खरीदने से पहले हुआ था। 2015 में इस ग्रुप का नाम पिपावाव डिफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग लिमिटेड था। बाद में इसका नाम बदलकर रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड कर दिया था।

एनसीएलटी अहमदाबाद में चल रही है दिवालिया प्रक्रिया

अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की अहमदाबाद बेंच में दिवालिया प्रक्रिया चल रही है। ट्रिब्यूनल ने उसके खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही की भी अनुमति दी है। वित्तीय लेनदारों ने 43,587 करोड़ रुपए का दावा किया है। हालांकि, रेजोल्यूशन प्रोफेशनल ने अब तक केवल 10,878 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी है। बाकी दावे पेंडिंग हैं।

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