टीआरपी डेस्क। उत्तर प्रदेश में प्रत्येक गोवंश की अपनी पहचान होगी। इसके लिए गायों व अन्य गोवंश की ईयर टैगिंग की जा रही है। इसमें प्रत्येक पशु को 12 अंकों का यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जा रहा है। यह एक तरह से पशु का आधार कार्ड है। इसमें उनसे जुड़ी सभी जानकारियां होंगी। ईयर टैगिंग के लिए पशुपालकों से कोई फीस नहीं ली जा रही है।

प्रमुख सचिव पशुपालन भुवनेश कुमार ने बताया कि टीका लगाते समय पशु की ईयर टैगिंग अनिवार्य की गई है। चिप लगे पीले कार्ड को पशु के कान में लगाया जा रहा है। इसमें पशु की उम्र, लोकेशन, प्रजाति, ब्रीडिंग व टीकाकरण की स्थिति, दूध की मात्रा, कद-काठी, पशुपालक का नाम, आधार व फोन नंबर समेत कई जानकारी दर्ज की जा रही है। ईयर टैगिंग में प्रत्येक पशु को 12 अंकों का यूआईडी दिया जा रहा है।

ईयर टैगिंग से गोवंश की सुरक्षा हो सकेगी

पशुपालक को दिए जाने वाले हेल्थ कार्ड पर यूआईडी नंबर पड़ा होता है। ईयर टैगिंग से जहां गोवंश की सुरक्षा हो सकेगी, वहीं किसानों की फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा। गोवंशों को निराश्रित छोड़ने वालों की पहचान कर कार्रवाई भी की जा सकेगी। 31 मार्च 2021 तक प्रदेश में सभी गोवंश व भैंस की ईयर टैगिंग करने का लक्ष्य है। अर्थात इनका आधार कार्ड बन जाएगा।

‘पशु व पशुपालक का पूरा ब्योरा देखा जा सकेगा’

प्रदेश में 5.2 करोड़ से अधिक गाय व भैंस हैं। इनमें से अब तक 1.33 करोड़ की ईयर टैगिंग हो चुकी है, जिनमें 66 लाख गाय और 67 लाख भैंसें शामिल हैं। पशुओं के गले या कान में एक विशेष प्रकार की रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडी चिप लगाई जाएगी। इसमें 12 अंकों के यूआईडी से देश में कहीं से भी एक क्लिक पर पशु व पशुपालक का पूरा ब्योरा देखा जा सकेगा।

पशुओं के अवैध परिवहन पर लगेगी रोक

ईयर टैगिंग का उद्देश्य गोवंश की नस्ल व दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। इससे गोवंश के अवैध परिवहन पर अंकुश भी लगेगा और गुम हुए गोवंशों को ढूंढने में आसानी होगी। टीकाकरण के बाद दिए जाने वाले कार्ड पर पशु का यूआईडी दर्ज किया जा रहा है। इससे पशुओं की बीमारियों की रोकथाम में भी मदद मिलेगी।

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