वॉशिंगटन। (Former President Barack Obama book A Promised Land) अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी पुस्तक ‘ए प्रोमिस्ड लैंड’में पाकिस्तान सेना के आतंकी लिंक पर बड़ा खुलासा किया हैै। जिसमें आतंकियों का सरपरस्त पाकिस्तान एक बार फिर दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है।

ओबामा ने लिखा है कि एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के ठिकाने पर छापा मारने के अभियान में पाकिस्तान को शामिल करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि यह खुला रहस्य था कि पाकिस्तान की सेना, खासकर उसकी खुफिया सेवा में कुछ तत्वों के तालिबान और संभवत: अलकायदा से संबंध थे और वे कई बार अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ सामरिक पूंजी के तौर पर इनका इस्तेमाल करते थे।
आपको बता दें कि ओबामा ने ‘ए प्रोमिस्ड लैंड नामक अपनी किताब में राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल में एबटाबाद में मारे गए छापे की जानकारी दी है। अमेरिकी कमांडो के इस छापे में दुनिया का सर्वाधिक वांछित आतंकवादी लादेन दो मई, 2011 को मारा गया था।
उन्होंने बताया कि एबटाबाद में पाकिस्तानी सैन्य छावनी के बाहर एक पनाहगाह में लादेन के रहने की बात स्पष्ट हो जाने के बाद अलकायदा प्रमुख को मारने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया गया। उन्होंने कहा कि इस अभियान की गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता ने चुनौती बढ़ा दी थी।
पाकिस्तान को भनक न लगे इसलिए की गई थी गोपनीय प्लानिंग
ओबामा ने कहा, हम जानते थे कि यदि किसी को बिन लादेन के बारे में हमारे कदम की जरा सी भी भनक लग गई, तो मौका हमारे हाथ से चला जाएगा, इसी लिए पूरी संघीय सरकार में केवल कुछ ही लोगों को अभियान की योजना की जानकारी दी गई थी। उन्होंने लिखा, हमारे सामने एक और रुकावट थी, हम भले ही कोई भी विकल्प चुनते, उसमें पाकिस्तान को शामिल नहीं किया जा सकता था।

ओबामा ने कहा, हालांकि पाकिस्तान सरकार ने आतंकवाद विरोधी कई अभियानों में हमारे साथ सहयोग किया और अफगानिस्तान में हमारे बलों के लिए अहम आपूर्ति मार्ग मुहैया कराया, लेकिन यह खुला रहस्य था कि पाकिस्तान की सेना, खासकर उसकी खुफिया सेवाओं में कुछ तत्वों के तालिबान और संभवत: अलकायदा से भी संबंध थे। वे यह सुनिश्चित करने के लिए सामरिक पूंजी के तौर पर कभी-कभी उनका इस्तेमाल करते थे कि अफगान सरकार कमजोर बनी रहे और अफगानिस्तान पाकिस्तान के सबसे बड़े दुश्मन भारत के नजदीक न आने पाए।
पाकिस्तान से संबंध दांव पर लगे थे
उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान की सेना एबटाबाद परिसर से कुछ ही मील की दूरी पर थी, जिसके कारण इस बात की संभावना बढ़ गई थी कि पाकिस्तानियों को कुछ भी बताने से अभियान की जानकारी लीक हो सकती है। ओबामा ने लिखा कि वे एबटाबाद में भले ही कोई भी विकल्प चुनते, उन्हें सबसे खतरनाक तरीके से अपने सहयोगी के क्षेत्र में बिना अनुमति घुसना पड़ता और इससे राजनयिक संबंध भी दांव पर लगे थे और इसने जटिलताएं भी बढ़ा दी थीं।
आखिरी वक्त पर लिया ये फैसला

अंतिम चरणों में दो विकल्पों पर विचार किया गया कि हवाई हमला किया जाए या किसी विशेष मिशन को अधिकृत किया जाए, जिसके तहत एक टीम हेलीकॉप्टर से चोरी-छुपे पाकिस्तान जाएगी, परिसर पर छापा मारेगी और पाकिस्तानी पुलिस या सेना के प्रतिक्रिया देने से पहले वहां से निकल आएगी। ओबामा और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम ने दूसरे विकल्प को चुना।
ओबामा ने कहा कि इस अभियान के बाद उन्होंने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई लोगों से फोन पर बात की, जिनमें से उनके लिए सबसे मुश्किल पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से बात करना था, जिन्हें पाकिस्तान की संप्रभुता के हनन के कारण आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता। उन्होंने कहा, हालांकि मैंने जब उनसे बात की, तो उन्होंने बधाई दी और सहयोग देने का आश्वासन दिया।
Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें और Youtube पर हमें subscribe करें। एक ही क्लिक में पढ़ें The Rural Press की सारी खबरें।